हिंदुजा ग्रुप की हो जाएगी अनिल अंबानी की कंपनी, LIC-EPFO का डूब जाएगा इतना पैसा!
reliance capital insolvency: हिंदुजा ग्रुप की तरफ से रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी. रिलायंस कैपटिल ने कर्ज के बारे में दी गई जानकारी में बताया था कि बैंकों का 40000 करोड़ से ज्यादा का बकाया है.
Reliance Capital News: अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल की बिक्री को पिछले दिनों आरबीआई (RBI) से मंजूरी मिल चुकी है. केंद्रीय बैंक ने रिलायंस कैपिटल के लिए हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) के प्लान को अप्रूवल दे दिया है. रिजर्व बैंक ने हिंदुजा ग्रुप के पांच प्रतिनिधियों को रिलायंस कैपिटल में बतौर डायरेक्टर शामिल पर मुहर लगा दी है. दूसरी तरफ इसे प्रक्रिया को हरी झंडी मिलने से रिलायंस कैपिटल को लोन देने वाले बैंकों को भारी नुकसान होने की उम्मीद है.
43 परसेंट हिस्सा ही रिकवर होने की उम्मीद
नीलामी में मिली रकम और कैश बैलेंस से कर्ज का 43 परसेंट हिस्सा ही रिकवर किया जा सकता है. इससे साफ है कि बैंकों का बड़ा अमाउंट डूबने की कगार पर है. जिनका पैसा डूबेगा उनमें ईपीएफओ (EPFO) और एलआईसी भी हैं. हिंदुजा ग्रुप की तरफ से रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी. रिलायंस कैपटिल की तरफ से कर्ज के बारे में दी गई जानकारी में बताया गया था कि उसके ऊपर बैंकों का 40000 करोड़ से ज्यादा का बकाया है.
23,666 करोड़ के दावों को वेरिफाई किया गया
प्रशासक की तरफ से 23,666 करोड़ के दावों को वेरिफाई किया गया है. अब इसमें से भी बैंकों को 43 प्रतिशत का ही हिस्सा मिलेगा. रिलायंस कैपिटल पर एलआईसी का करीब 3,400 करोड़ रुपये बाकी है. इसके अलावा ईपीएफओ ने रिलायंस कैपिटल के बॉन्ड के रूप में 2,500 करोड़ का निवेश किया था. 43 प्रतिशत के हिसाब से देखें तो एलआईसी को करीब 1450 करोड़ और ईपीएफओ को 1,050 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. इस हिसाब से एलआईसी को 1950 करोड़ और ईपीएफओ को 1450 करोड़ का नुकसान हो सकता है.
पहले 8,640 करोड़ की सबसे ऊंची बोली
रिलायंस कैपिटल के लिए पहले दौर की नीलामी में टॉरेंट इंवेस्टमेंट ने 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. दूसरी बोली में हिंदुजा ग्रुप ने 9,650 करोड़ रुपये की बोली लगाई. अब नीलामी की रकम और रिलायंस के कैश बैलेंस को देखकर 10000 करोड़ रुपये की रिकवरी होने की उम्मीद जताई जा रही है. आपको बता दें रिलायंस कैपिटल एक एनबीएफसी है. इसमें करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं. आरबीआई की तरफ से रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग करने के बाद दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.