एक और गुड न्यूज! विदेशी मुद्रा भंडार को लगे पंख; ऑल टाइम पर पहुंचने से क्या फायदा
16 फरवरी 2024 को खत्म हुए हफ्ते के बाद से 26.395 अरब डॉलर बढ़ चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार का पिछला रिकॉर्ड लेवल 3 सितंबर 2021 को खत्म सप्ताह में दर्ज किया गया था, जब यह 642.453 अरब डॉलर था.
Foreign Exchange Reserves: लोकसभा चुनाव से पहले सरकार और आरबाआई के लिए एक और राहत देने वाली खबर आई है. देश के विदेशी मुद्रा भंडार को पिछले कुछ हफ्तों से पंख लगे हुए हैं. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 15 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में 642.492 अरब डॉलर के अब तक के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है. यह अब तक का ऑल टाइम हाई लेवल लेवल बताया जा रहा है. रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 15 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 6.404 अरब डॉलर बढ़ा. यह लगातार चौथा सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी देखी गई है.
पिछला रिकॉर्ड 3 सितंबर 2021 को बना था
यह 16 फरवरी 2024 को खत्म हुए हफ्ते के बाद से 26.395 अरब डॉलर बढ़ चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार का पिछला रिकॉर्ड लेवल 3 सितंबर 2021 को खत्म सप्ताह में दर्ज किया गया था, जब यह 642.453 अरब डॉलर था. इसके अलावा शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 35 पैसे की गिरावट के साथ 83.48 प्रति डॉलर के अब तक सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. सूत्रों ने कहा कि विदेशी कोष की बाजार से निकासी के कारण भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपया 83.28 प्रति डॉलर पर कमजोर खुला और अंत में 35 पैसे लुढ़ककर 83.48 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ.
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से क्या फायदा
लगातार बढ़ रहा देश का विदेशी मुद्रा भंडार इकोनॉमी के लिए पॉजिटिव है, क्योंकि यह डॉलर की पर्याप्त आपूर्ति को दर्शाता है, जो रुपये को मजबूत करने में मदद करता है. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से आरबीआई को रुपये के अस्थिर होने पर उसे स्थिर करने के लिए अधिक गुंजाइश मिलती है. ऐसा इसलिए क्योंकि आरबीआई रुपये को भारी गिरावट से बचाने के लिए अधिक डॉलर जारी करके हाजिर और वायदा मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करता है.
इसके विपरीत, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से आरबीआई के पास रुपये को सहारा देने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए कम विकल्प बचता है. विदेशी मुद्रा भंडार पर अच्छी खबर फरवरी में निर्यात के 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने और व्यापार घाटे में गिरावट के कारण भी आई है. यह देश के बाहरी संतुलन के मजबूत होने का संकेत देता है जो आगे चलकर रुपये के लिए शुभ संकेत है. (इनपुट भाषा से भी)