Azadi Ka Amrit Mahotsav: विश्व के मानस पटल पर तेजी से बढ़ रहा भारत का FDI, रूस जैसे देश को छोड़ा पीछे
Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी की 75वीं वर्षगांठ को पर देश भर में खास तैयारियां की जा रही है. इन 75 सालों में भारत ने आर्थिक रूप से विश्व के मानस पटल पर अपनी छाप छोड़ी है. चाहे कोरोना महामारी की विभीषिका हो या फिर चीन का विवाद, भारत ने हर कदम पर शानदार शक्ति प्रदर्शन किया है.
Foreign Exchange Reserves: भारत को आज़ाद हुए 75 साल हो गए और देश इस साल 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ को पर देश भर में खास तैयारियां की जा रही है. इन 75 सालों में भारत ने आर्थिक रूप से विश्व के मानस पटल पर अपनी छाप छोड़ी है. चाहे कोरोना महामारी की विभीषिका हो या फिर चीन का विवाद, भारत ने हर कदम पर शानदार शक्ति प्रदर्शन किया है. डिफेन्स से लेकर आतंरिक मामलों पर भारत ने नित नए आयाम लिखे हैं. देश की आर्थिक स्थिति पहले से बहुत सुदृढ़ हुई है. छोटे स्तर पर व्यवसाय हों या फिर बैंकिंग सिस्टम, भारत हर दिन नई उंचाइयों को छू रहा है. वैश्विक बाजार में बिकवाली के बावजूद भारत के पास विश्व का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है.
भारत में मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर को रहे विवादों के बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Dollar Reserve) में कमी हुई है. रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के मुताबिक बीते 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान अपने विदेशी मुद्रा भंडार में 7.541 अरब डॉलर की कमी हुई है. अब यह घट कर 572.712 अरब डॉलर रह गया है. इससे पहले इसी महीने आठ और एक जुलाई को समाप्त सप्ताह में भी विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई थी. इस साल डॉलर की मजबूती और रुपया के दबाव में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कुछ हद तक कम जरूर हुआ था, लेकिन एक बार फिर भारत रिकवरी मोड में आ गया है. आइये जानते हैं विदेशी मुद्रा भंडार के मजबूत होने के भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या मायने हैं.
रूस को पछाड़ आगे निकला भारत
गौरतलब है कि साल 2021 में भारत रूस को पछाड़कर इस पायदान पर पहुंच गया. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च 2021 को 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था, जबकि वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर पर आ गया. यानी भारत ने चौतरफा सफलता हासिल की है.
रुपये को मिलती है मजबूती
विदेशी मुद्रा भंडार का बहुत महत्व है. रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए ये काफी अहम फैक्टर होता है कि देश के पास कितना विदेशी मुद्रा भंडार है. RBI के पास विदेशी मुद्रा या फिर डॉलर भरा होता है तो अपनी करेंसी को मजबूती मिलती है. दरअसल, भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है और जब विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो भुगतान डॉलर में करते हैं. ऐसे में इंपोर्ट के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना बहुत जरूरी है. अगर विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है तो समझ लीजिए कि देश में FDI भी बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है. यानी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही होती है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर कोई विदेशी निवेशक भारत में पैसा रिजर्व कर रहा है तो इसका मतलब यह है कि निवेशक को भारतीय इकोनॉमी पर भरोसा है.
विदेशी मुद्रा भंडार है क्या?
आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से होता है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होती हैं. गौरतलब है कि अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किए जाते हैं. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच शामिल है.
विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखना क्यों जरूरी है?
विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत बनाए रखने की जरूरत होती है. मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन के लिये नीतियों का समर्थन तथा उनमें विश्वास बनाए रखने के लिए, राष्ट्रीय मुद्रा के समर्थन में हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करने के लिए, संकट के समय या जब ऋण तक पहुंच में कटौती की स्थिति में नुकसान को कम करने के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखना बहुत जरूरी है.
ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर