मुंबई: Tax Burden on Household: देश के परिवारों पर टैक्स का बोझ भारी पड़ रहा है. एक रेटिंग एजेंसी के मुताबिक टैक्सेंशन खास तौर पर इनडायरेक्ट टैक्स लोगों को खपत पर ज्यादा खर्च करने से रोक रहा है. India Ratings and Research ने ये सर्वे किया है, जिसमें कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. 


India Ratings का सर्वे 


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रेटिंग एजेंसी के मुताबिक देश के कॉर्पोरेट्स को इनकम टैक्स में छूट दी जाती है, लेकिन ऐसा कुछ घर परिवारों के लिए नहीं किया जाता है, जो लगातार बढ़ते टैक्स का बोझ उठा रहे हैं और टैक्स चुका रहे हैं. India Ratings and Research ने चेतवानी दी है कि घरेलू टैक्स के बोझ की वजह से खपत की रिकवरी में देरी हो सकती है. एजेंसी के मुताबिक महामारी से ठीक पहले ईंधन की एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी के जरिए इनडायरेक्ट टैक्स में बढ़ोतरी और संक्रमण की दूसरी लहर का असर  पड़ा है. 


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कॉर्पोरेट टैक्स घटा, परिवारों पर बोझ बढ़ा


वित्त वर्ष 2010 में परिवारों पर कुल टैक्स बोझ का हिस्सा 60 परसेंट से बढ़कर 75 परसेंट हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक यह मुख्य रूप से ईंधन पर ऊंची एक्साइज ड्यूटी और कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की वजह से था. इसमें कहा गया है कि रोजगार को बढ़ावा देने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कॉर्पोरेशन टैक्स को कम किया गया है. और इसे एक वैध बदलाव बताते हुए इस कदम का समर्थन भी किया है, क्योंकि इसने हमारे निर्यात को अप्रतिस्पर्धी बना दिया. 


पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की मार


रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक 'हाल ही में घरों पर टैक्स का बोझ, विशेष रूप से इनडायरेक्ट टैक्स काफी खराब हुआ है. इसमें कहा गया है कि एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी से पेट्रोल और डीजल की रीटेल कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं और घरेलू बजट को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दोनों रूप से प्रभावित किया है. जब हम पर कोरोना की मार पड़ी, इससे पहले ही खपत कम हो रही थी. नौकरी और सैलरी में कटौती ने कोरोना महामारी के दौरान बढ़े खर्चों की मार को दोगुना कर दिया. 


रेटिंग एजेंसी ने दी चेतावनी


रेटिंग एजेंसी ने 2,000 गैर-वित्तीय कॉरपोरेट्स में वेतन या वेतन वृद्धि का विश्लेषण किया, जिससे पता चला कि 60 प्रतिशत कॉरपोरेट्स ने वित्त वर्ष 2021 में कर्मचारी लागत कम कर दी थी और नुकसान की भरपाई होने की संभावना नहीं है. रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी दी कि मध्यम अवधि में सैलरी ग्रोथ में गिरावट का खतरा खपत और मांग में सुधार को सीमित कर सकता है. 


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