RTI Act: अगर कोई किरायेदार बिना रेंट चुकाए भाग जाता है या किराया देने से मना कर देता है तो ऐसे में मकान मालिक के पास क्‍या अधिकार है? क्‍या सरकार मकान मालिक की मदद के लिए किरायेदार का एड्रेस RTI के तहत दे सकती है? ऐसा ही मामला हाल फिलहाल में आया है, जिसमें वी. वेंकटपति नाम के एक शख्‍स ने अपने किरायेदार के बारे में जानकारी निकालने के लिए RTI फाइल कर दी क्‍योंकि जो किरायेदार है वह LIC में स्टार एजेंट के तौर पर कार्यरत है. मकान मालिक को इस मामले में केंद्रीय सुचना आयोग तक जाना पड़ा, उसके बाद ये जवाब आया.       


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मकान मालिक ने यहां दी अर्जी 


मकान मालिक ने LIC एजेंट के घर के पते की जानकारी के लिए आवेदन दिया था. अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मकान मालिक ने CPIO में अपने किरायेदार के एड्रेस के बारे में जानकारी मांगी. जवाब में CPIO की तरफ इस अर्जी को खारिज कर दिया गया. इसमें CPIO ने RTI अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (जे) का उपयोग किया. जिसके मुताबिक, निजी जानकारी से जुड़ी कोई सूचना, जिसे उजागर किए जाने का किसी सार्वजनिक कृत्य या हित से कोई रिश्ता न हो, अथवा किसी शख्स की निजता का अवांछित हनन होता हो, जब तक विवाद के हिसाब से केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी या राज्य सार्वजनिक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकरण इस बात से संतुष्ट न हों कि इस तरह की सूचना को उजागर किया जाना सार्वजनिक हित से जुड़ा है. 


फर्स्ट अपील में खारिज हुआ आवेदन


CPIO द्वारा दिए गा आदेश को चुनौती देते हुए मकान मालिक ने फर्स्ट अपेलेट अथॉरिटी (First Appellate Authority यानी FAA) में आवेदन किया. इसके लिए उन्‍होंने 23 नवंबर, 2020 को एक नई अर्जी दाखिल की थी, लेकिन फर्स्ट अपेलेट अथॉरिटी  की तरफ से इस आवेदन को खारिज कर दिया गया.        


दूसरी अपील में मिला ये जवाब 


खबरों के मुताबिक, इसके बाद मकान मालिक ने केंद्रीय सुचना आयोग के समक्ष दूसरी अपील दायर की, और कहा गया कि मेरे द्वारा मांगी गई जानकारी मुझे नहीं मिली है. इसके बाद केंद्रीय सुचना आयोग ने 3 अक्‍टूबर 2022 को अपना आदेश निकाला. इसमें बताया गया कि ये विवाद किराया नहीं चुकाने से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस मामले को RTI के तहत नहीं सुलझाया जा सकता है. इस तरह CIC ने CPIO के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि किरायेदार का एड्रेस एक निजी जानकारी के तहत आता है, इसे RTI के तहत उजागर नहीं कर सकते हैं.     


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