मुंबई : दूरसंचार बुनियादी ढांचा कंपनी तथा इनफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम करने वाले जीटीएल ग्रुप पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकारी क्षेत्र के केनरा बैंक ने जीटीएल समूह के खिलाफ बकाया कर्ज न चुकाने को लेकर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में मामला दायर किया है. कंपनी ने इस बैंक से 459 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था और उसे वह चुका नहीं रही है. बैंक का कंपनी पर बकाया 541 करोड़ रुपये हो गया है. संबंधित पक्षों ने शेयर बाजारों को अलग-अलग यह सूचना दी है.


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केनरा बैंक ने कहा है कि उसने जीटीएल और जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विरुद्ध कंपनी के दिवालापन के मामले समाधान के लिए एक अर्जी लगायी है. पर जीटीएल का दावा है कि वह दूरसंचार क्षेत्र में कंपनियों के आपसी विलय/अधिग्रहणों की मारी है. उसका कहना है कि ऐसी परिस्थितियां पिछले 12 महीनों में उत्पन्न हुई हैं. इस दौरान एयरसेल, टाटा टेलीसर्विसेज और रिलायंस कम्युनिकेशन्स- ये तीन कंपनियां बंद हुईं और वोडाफोन का आइडिया के साथ तथा टेलीनोर का भारती एयरटेल में एकीकरण हुआ है. ये परिस्थितियां कंपनी के वश में नहीं थीं पर इनका कंपनी के कारोबार और संभावनाओं पर बुरा असर पड़ा है.


जीटीएल पर इस साल मार्च के अंत में कुल 6,502.44 करोड़ रुपये और जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर पर 4,956.4 करोड़ रुपये का कर्ज था.


जीटीएल का शेयर मंगलवार को मुंबई बाजार में दोपहर के समय 2 प्रतिशत घट कर 5.79 रुपये और जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चार का शेयर 5 प्रतिशत घट कर 1.35 रुपये पर चल रहा था. 


(इनपुट भाषा से)