IDFC फर्स्ट बैंक में IDFC का होगा विलय! क्यों होता है मर्जर, किसे होता है फायदा?
IDFC First Bank Share Price: आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में आईडीएफसी के विलय के लिए सीसीआई के बाद सेबी, आरबीआई और एनसीएलटी से भी मंजूरी जरूरी होगी. इन सभी से मंजूरी के बाद ही मर्जर प्रभावी होगा.
IDFC Bank-IDFC Merger: कुछ समय पहले ही बैंकिग सेक्टर में एचडीएफसी बैंक का सबसे बड़ा मर्जर पूरा हुआ है. अब इस सेक्टर में एक और मर्जर होने की तैयारी शुरू हो गई है. इस बार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी आईडीएफसी (IDFC) के IDFC फर्स्ट बैंक के साथ मर्जर को मंजूरी मिल गई है. यह मंजूरी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने दी है. निदेशक मंडल से विलय के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.
यहां से मंजूरी के बाद प्रभावी होगी मंजूरी
एक दिन पहले मंगलवार को बैंक के शेयर करीब 0.80 प्रतिशत चढ़कर बंद हुए. सीसीआई से मंजूरी के बाद IDFC फर्स्ट बैंक के साथ आईडीएफसी के विलय को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) से भी मंजूरी लेनी होगी. सभी वैधानिक और नियामक निकायों से मंजूरी के बाद यह मर्जर प्रभावी होगा.
मर्जर का रेश्यो
बैंकिंग सेक्टर के इस विलय का रेश्यो 155:100 तय किया गया है. इस मर्जर के तहत IDFC के शेयरहोल्डर को पूर्व में रखे गए प्रत्येक 100 स्टॉक के लिए IDFC फर्स्ट बैंक के 155 शेयर दिये जाएंगे. आपको बता दें कि 30 जून 2023 तक IDFC के पास गैर-वित्तीय होल्डिंग कंपनी के जरिये IDFC फर्स्ट बैंक में 30.93 फीसदी की हिस्सेदारी थी.
कैसे शुरू हुआ IDFC फर्स्ट बैंक?
अप्रैल 2014 में बैंक की शुरुआत करने के लिए IDFC लिमिटेड को आरबीआई (RBI) की तरफ से मंजूरी मिली थी. इसके बाद बैंक ने अपना काम अक्टूबर 2015 में शुरू किया. IDFC लिमिटेड के लोन एसेट्स और देनदारियां IDFC बैंक को ट्रांसफर कर दी गईं. इसके बाद IDFC बैंक और कैपिटल फर्स्ट का दिसंबर 2018 में विलय हुआ. इस मर्जर के बाद बैंक का नाम बदलकर IDFC फर्स्ट बैंक कर दिया गया.
क्यों किया जाता है मर्जर
एक कंपनी को दूसरी कंपनी के साथ मर्ज करने के लिए तमाम निकाय से मंजूरी जरूरी होती है. मर्जर के पीछे सबसे बड़ा मकसद व्यापार का विस्तार करना होता है. बैंकों का विलय होने से बैंकिंग सर्विस का दायरा बढ़ जाता है. इससे बैंकिग गतिविधियां भी बढ़ती हैं और वित्तीय स्थिति में सुधार होता है. जब दो बैंकों का विलय होता है तो ग्राहकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी मिलता है. इसके अलावा नई चेकबुक और पासबुक आदि भी जारी होती हैं.