नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के बढ़ते दामों पर सोमवार (11 जून) को केंद्र सरकार की खिचाई की. उन्होंने भाजपानीत मोदी सरकार पर उपभोक्ताओं को लूटने का आरोप लगाया. चिंदबरम ने कहा, 'मनमाने तरीके से पेट्रोल-डीजल-एलपीजी के बढ़ाए जा रहे हैं, जिसकी वजह से देश में चारों ओर गुस्से का माहौल है. मई-जून 2014 की तुलना में आज कीमतें क्यों आसमान छू रही हैं, वास्तव में इसके पीछे कोई वजह नहीं है. यह कुछ नहीं, बल्कि लाचार उपभोक्ताओं को निचोड़ा जा रहा है.'



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चिदंबरम ने पट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंदर लाने की वकालत की. उन्होंने कहा, 'अगर आप पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाते हैं, तो कीमतें कम होगी. भाजपा केंद्र में है और अधिकतर राज्यों में उनकी सरकार है. ऐसे में वे फिर राज्यों पर दोष क्यों मढ़ रहे हैं. उनके पास बहुमत है और उन्हें ऐसा करना चाहिए.'



इसके आगे चिदंबरम ने कहा, 'महंगाई लगातार ऊपर जा रही है. उम्मीद है कि यह और बढ़ेगी. हाल ही में रेपो रेट में हुई बढ़ोतरी इसका जीता-जागता प्रमाण है. ब्याद दरों में इजाफा होगा, जिससे आने वाले समय में उपभोक्ताओं और उत्पादकों पर दबाब बढ़ता जाएगा.'



जीडीपी दर 2 साल में 8.2 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी हो गई
इससे पहले चिदंबरम ने रविवार (10 जून) को नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि विकास की रट लगाई जा रही है और देश में विकास का हाल यह है कि दो साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 8.2 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी हो गई. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के चार साल के कार्यकाल में जीडीपी दर सुस्त रही और बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) 2,63,015 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपये हो गए और बैंकिंग प्रणाली दिवालिया हो गई. उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के बाद जीडपी में गिरावट के बारे में उन्होंने जो अनुमान जाहिर किया था वही हुआ.


चिदंबरम ने श्रंखलाबद्ध ट्वीट के जरिए कहा था, "केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी किए गए आर्थिक आंकड़ों के बाद मीडिया में सिर्फ एक ही आंकड़ा 7.7 फीसदी आया."



उन्होंने कहा, "यह वित्तवर्ष 2017-18 का जीडीपी वृद्धि दर के रूप में निस्संदेह आकर्षक था, मगर वास्तव में यह चौथी तिमाही का आंकड़ा था, जबकि पूरे साल की जीडीपी वृद्धि दर सुस्ती के साथ 6.7 फीसदी रही."



चिदंबरम ने तंज कसा, "चार साल के अंत में सरकार वाकई साफ नीयत, सही विकास की राह पर चल पड़ी है."



उन्होंने कहा कि साख वृद्धि में भी भारी गिरावट आई है और यह 2017-18 में सुधार से पहले 13.8 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी हो गई. पिछले चार साल में सालना साख वृद्धि दर 5.6, 2.7,1.9 और 0.7 फीसदी रही.



2018-19 में जीडीपी 7 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के 'सीईओ ओपिनियन पोल' के मुताबिक, देश के 82 फीसदी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का अनुमान है कि 2018-19 में देश की जीडीपी सात फीसदी से अधिक रहेगी. इस पोल के मुताबिक, 82 फीसदी में से 10 फीसदी सीईओ को लगता है कि देश की विकास दर 7.5 फीसदी से अधिक रहेगी. इसके अलावा 92 फीसदी सीईओ ने 2018-19 में खपत मांग में बढ़ोतरी का अनुमान जताया है.