China Vs India Economy: भारत की तरक्की रॉकेट की रफ्तार से भाग रही है. भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है.जिस रफ्तार से हम लोग बढ़ रहे है, उससे तो यही लगता है कि बहुत जल्द हमलोग दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे. ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों, बढ़ने विदेशी निवेश बढ़ता निर्यात और मजबूत बाजार भारत के इस लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर रहे हैं. जहां भारत की इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है तो वहीं उसके पड़ोसी देश और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है चीन में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. चीन के बैंकिंग क्राइसिस से लेकर रियल एस्टेट संकट की खबरें तो हमलोग आए दिन देश और सुन ही रहे हैं अब तो चीन के शेयर बाज़ार में भी कोहराम मचना शुरु हो गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चीन का बढ़ता घाटा 


चीन का शेयर बाजार बीते 3 सालों से घाटे में कारोबार कर रहा है. बड़ा सवाल यहीं है कि क्या दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन की हालत अब खस्ता हो गई है, जो चीन कभी अमेरिका को पछाड़कर सुपरपावर बनने का सपना देख रहा था अब उसकी हालात खराब हो चुकी है. दुनिया की आखों में धूल झोंकने वाला चीन, आकंड़ों को छुपाने वाला चीन अब अपनी ही जाल में बुरी तरह फंस गया है . 


 क्यों बर्बाद हो रहा चीन 


 चीन अपनी बर्बादी के लिए वो खुद जिम्मेदार है. अगर कारणों की बात करें तो चीन की बर्बादी के लिए जो सबसे बड़ा कारण है वो है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश. चीन धीरे-धीरे मंदी की चपेट में आ रहा है.  ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी FDI घटता जा रहा है. चीन का एफडीआई 30 सालों में सबसे खराब रहा है. बीते साल 2023 में देश को मिलने वाला विदेशी निवेश महज 33 अरब डॉलर रहा है, जो कि साल 2022 की तुलना में 82 फीसदी कम है.साल 2023 में चीन का डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट लायबलिटीज 33 अरब डॉलर पर आ गया, जो साल1993 के बाद सबसे कम है.


वहीं चीन की इकोनॉमी का सबसे महत्वपूर्ण आधार, उसका रियल एस्टेट सेक्टर है, जो बीते कुछ वर्षों से गंभीर संकट में है. चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे दिवालिया हो चुकी है. चीन के प्रॉपर्टी मार्केट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.  रियल सेक्टर संकट ने बैंकिंग सेक्टर को भी अपनी चपेट में ले लिया है. रियल एस्टेट डेवलपर्स को कर्ज देने वाले बैंक भी अब संकट में फंसते जा रहे हैं.  इन तनावों ने चीन के शेयर बाजार पर दवाब बना दिया है. वहीं अमेरिका के साथ गहराता तनाव भी चीन के शेयर मार्केट में गिरावट की बड़ी वजह है. वहीं चीन का कमजोर विकास दर निवेशकों को उससे दूर कर रहा है, इस साल चीन की विकास दर 2023 के 5.2 फीसदी के मुकाबले गिरकर 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है. अगर ये ऐसा ही रहा तो चीनकी अर्थव्यवस्था के लिए यह 10 सालों का सबसे खराब प्रदर्शन होगा.  
 
चीन की इस हालत से भारत को क्या फायदा 


भारत की तरक्की चीन को हमेशा से खलती रही है. अब हालात ये है कि विदेशी कंपनियां और निवेशक भारत को चीन के रिप्लेसमेंट के तौर पर देख रहे हैं. ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स लगातार गिर रहे चीनी बाजार का विकल्प तलाश रहे हैं और भारत उसके लिए अपनी प्रबल दावेदारी पेश कर रहा है। भारतीय शेयर बाजार एक के बाद एक रिकॉड बना रहे हैं शॉर्ट टर्म से लेकर लॉन्‍ग टर्म में रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिल रहा है. जानकारों की माने तो भारत का शेयर बाजार लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्‍छा साबित होगा.गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि निफ्टी इंडेक्स वर्तमान में 22,000 के आसपास है, जो साल 2024 के अंत तक  23,500 तक पहुंच जाएगा.भरत में रिटेल निवेशक बड़ी संख्‍या में शेयर बाजार में जुड़ रहे हैं. एवरेज 2 अरब डॉलर प्रतिमाह घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा खरीदारी हो रही है.  IMF ने भारत के ग्रोथ रेटो को रिवाइज कर बढ़ा दिया. अनुमान है कि भारत की GDP 2024 में 6.7 फीसदी के रफ्तार से बढ़ेगी, जबकि चीन के GDP ग्रोथ अनुमान  4.6% है. वहीं विदेशी कंपनियां भारत का रूख कर रही है. ऐपल, माइक्रॉन, फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनियां भारत में अपना प्रोडक्शन हब बनाना चाहती है. जो ये कंपनियां चीन में रहकर कर रही थी, वो भारत में करना चाहती हैं. यानी चीन की गिरती इकोनॉमी भारत के लिए मौका है.