China Economy: चीन की इकोनॉमी की हालत किसी से छिपी नहीं है. ताजा आंकड़े देखकर चीन मन ही मन खुश तो हो रहा है, लेकिन उसे अपनी हकीलत और गलतियों को अहसास हो गया है. बीते अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी और साल 2023 में यह 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा. चीनी सरकार ने बीते साल अपने आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को पार कर लिया, लेकिन इसके बावजूद चीन के सामने कई चुनौतियां हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में चीन की अर्थव्यवस्था के लिए सरकार वने 5 फीसदी का लक्ष्य रखा था, जिसे उसने पार करते हुए 5.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य हासिल कर लिया. चीन ने भले ही विकास दर के इस लक्ष्य को हासिल कर लिया, लेकिन उसके सामने अभी बड़ी चुनौतियां है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारत से काफी पीछे 


अर्थव्यवस्था के मामले में चीन भारत से आगे है, लेकिन आर्थिक विकास दर में वो भारत से पिछड़ गया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही. वहीं  रिजर्व बैंक के अनुसार के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने वाली है. आईएमएफ ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 6.3% कर दिया. वहीं चीन 5.2 फीसदी के ग्रोथ को पाकर गदगद है.  


हालत हुई पतली तो बदल गए बोल  


दुनिया को धौंस दिखाने वाले चीन की अर्थव्यवस्था सिकुड़ने लगी तो उसके बोल भी बदल गए. चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने  विश्व आर्थिक मंच (WEF) से संबोधित करते हुए कहा कि उनका देश बहुपक्षवाद और अपनी अर्थव्यवस्था को ज्यादा खोलने के साथ बाजार के अवसर दुनिया से साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है.  उन्होंने कहा कि उनका देश विदेशी निवेशकों के खुला हुआ है. चीन की सरकार विदेशी कंपनियों, निवेशकों के लिए सही माहौल बनाने के लिए प्रतिबंधित है. उन्होंने ग्लोबल मंच पर 2800 ग्लोबल लीडर्स के सामने कहा कि विदेशी निवेशकों के विश्वास को फिर से हासिल करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि हम विदेशी कंपनियों को व्यापार-समर्थक नीतियों का भरोसा दिला रहे हैं. निर्यात और विदेशी निवेश में आई कमी के बाद अब चीन के बोल बदल रहे हैं. चीनी इकॉनमी को झटका लगा है. सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार चीन का नियार्त गिरा है. साल 2016 के बाद पहली बार ऐसा है जब चीनी निर्यात गिर गया है. वहीं विदेशी निवेशक चीन का साथ छोड़ रहे हैं. ऐप्पल, माइक्रॉन जैसी कंपनियों चीन से दूरी बना रही है. कंपनियों की नाराजगी से चीन की खासा नुकसान हो रहा है.