कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गरुवार (5 अक्टूबर) को नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मुद्दे को कुरदते हुए कहा कि नोटबंदी ‘‘सबसे बड़ी आपदा’’ रही तो नयी कर व्यवस्था ‘‘एक बड़े करतब’’ की तरह है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल में लिखा, ‘‘जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि नोटबंदी सबसे बड़ी आपदा है. इसने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. इसके अलावा जीएसटी भी एक बड़ी भारी करतब की तरह है.’’ इससे पूर्व बनर्जी ने जीएसटी लागू किये जाने को केन्द्र सरकार की नोटबंदी के बाद की एक और ‘ऐतिहासिक भूल’ करार दिया था. 



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उन्होंने जीएसटी को जल्दी में लाये जाने का दावा करते हुए मांग की कि नयी कर व्यवस्था के मामले में जांच होनी चाहिये. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने बगैर उपयुक्त योजना बनाये इसे जल्दबाजी में क्यों शुरु किया. सभी आम लोग और सारे व्यापारी इसके घोर भुक्तभोगी हैं. गहन जांच की जरूरत है.’’ 



रंगराजन ने नोटबंदी-जीएसटी को बताया आर्थिक वृद्धि में गिरावट के लिए जिम्मेदार 


इससे पहले आर्थिक वृद्धि में गिरावट के लिए नोटबंदी व जीएसटी को जिम्मेदार ठहराते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने शुक्रवार (22 सितंबर) को कहा था कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के प्रस्तावित पैकेज में आंशिक तौर पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर ध्यान होना चाहिए और निजी निवेश बढ़ाने के रास्ते की बाधाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए. एसोचैम द्वारा आयोजित 10वें अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण शिखर सम्मेलन से इतर रंगराजन ने संवाददाताओं से कहा, "मेरी राय में पैकेज का इस्तेमाल सरकार के पूंजीगत व्यय को आंशिक तौर पर बढ़ाने के लिए होना चाहिए, लेकिन जिस भी तरह से यह निजी निवेश को बढ़ावा दे, वही उपयुक्त तरीका होगा."


उन्होंने कहा कि विकास दर में गिरावट के साथ निवेश दर में गिरावट आई है. रंगराजन ने कहा, "ज्यादा गंभीर बात यह है कि निजी निवेश गिरा है. वास्तविकता यह है कि पूंजी पर सार्वजनिक व्यय में कुछ मामूली वृद्धि हुई है. इसलिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा उन समस्याओं के समाधान का है, जो निजी निवेश को बढ़ने से रोक रही हैं." उन्होंने सुझाव दिया कि दो चीजें की जा सकती हैं. कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं, और यह सुनिश्चित किया जाए कि रुकी परियोजनाएं सक्रिय हों. दूसरा, बैंकिंग प्रणाली के पुनर्पूजीकरण की जरूरत है, ताकि निवेश के लिए अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जा सके. उन्होंने कहा, "अभी बैंकों को कर्ज देने में सक्षम होने की जरूरत है."


प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व में चेयरमैन रहे रंगराजन ने जीडीपी वृद्धि में गिरावट के लिए नोटबंदी व नई शुरू की गई वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, "मंदी के कारणों में कुछ अस्थायी व क्षणिक कारक हैं, जैसे जीएसटी का क्रियान्वयन और नोटबंदी. इसलिए मेरा मानना है कि यदि आप इस पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि चौथी तिमाही व पहली तिमाही लगभग एक जैसे रहे हैं -5.6 फीसदी व 5.7 फीसदी. मेरे लिए यह निम्नतम बिंदु पर पहुंच चुका है. अब इसमें तेजी आएगी."


(इनपुट एजेंसी से भी)