Economic recession: दुनिया के कई देश आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पड़ोसी देश में लोग दाने-दाने को मोहताज हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या भारत में भी आर्थिक मंदी आ सकती है? दुनिया में तेजी से गिर रही अर्थव्यवस्था का असर भारत पर पड़ेगा या नहीं? इन सवालों को लेकर भारत के लोग भी परेशान हैं. ऐसे में यह जान लेना जरुरी है कि भारत सरकार इस बारे में क्या सोच रही है और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए क्या योजना तैयार कर रही है. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने आर्थिक मंदी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार की तैयारियों के बारे में बताया है.


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केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वैश्विक आर्थिक मंदी से नागरिक प्रभावित न हों. वह महाराष्ट्र के पुणे शहर में जी20 के पहले अवसंरचना कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) की बैठक का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.


उन्होंने आर्थिक मंदी की स्थिति का सामना करने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में पूछने पर कहा, ''चूंकि हम मंत्रिमंडल में हैं, हमें जानकारी मिलती है (आर्थिक मंदी के बारे में) या प्रधानमंत्री मोदीजी हमें इस बारे में सुझाव देते हैं.' उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बड़े विकसित देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, ''भारत सरकार और मोदीजी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि नागरिक इससे प्रभावित न हों.'' राणे ने यह भी कहा कि रोजगार पैदा करने वाले उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक और सतत आर्थिक वृद्धि के लिए जी20 बैठक महत्वपूर्ण है. भारत एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 की अध्यक्षता करेगा. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, भारत द्वारा आमंत्रित IWG सदस्य देशों, अतिथि राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लगभग 65 प्रतिनिधि पुणे में बैठक के दौरान भारत की G20 अध्यक्षता के तहत 2023 इंफ्रास्ट्रक्चर एजेंडा पर चर्चा करेंगे.


इसमें कहा गया है कि आर्थिक मामलों का विभाग, वित्त मंत्रालय और भारत सरकार दो दिवसीय IWG बैठकों की मेजबानी कर रहे हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील सह-अध्यक्ष होंगे. "G20 इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करता है, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर को एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में विकसित करना, गुणवत्ता इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को बढ़ावा देना और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए अभिनव उपकरणों की पहचान करना शामिल है."


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(एजेंसी इनपुट के साथ)