नई दिल्ली:  मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने बुधवार को आगाह किया कि भारत में आर्थिक सुधारों की रफ्तार टूटने से निवेश प्रभावित हो सकता है और यह भारतीय कंपनियों के लिए एक प्रतिकूल-बात होगी। मूडी ने साथ ही यह भी कहा है कि ज्यादतर कंपनियों को देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा बुनियादी मजबूती और मौद्रिक नीति में नरमी से फायदा होगा। मूडीज ने कहा कि कमजोर वैश्विक रख और अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का भी भारतीय कंपनियों पर असर हो सकता है। मूडीज ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और भूमि अधिग्रहण कानून जैसे प्रमुख सुधारों को लागू करने में सरकार की नाकामी से निवेश में बाधा आ सकती है और इसे संकेत जाएगा कि देश में सुधार प्रक्रिया के पटरी से उतर गयी है।


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मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ साख-निर्धारक अधिकारी विकास हालन ने कहा ‘मार्च 2016-17 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में भारत में की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और विनिर्माण गतिविधियों में तेजी से कारोबार की वृद्धि में आम मदद मिलेगी।’  उन्होंने कहा कि इन अनुकूल घरेलू स्थितियों के बावजूद सुधार की गति कम होने से भारत की कंपनियों के लिए चौती खड़ी हो सकती है। मोदी सरकार इस साल अब तक जीसटी और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे सुधार संबंधी प्रमुख विधेयकों को पारित कराने में नाकाम रही है।