Identify silver coins: हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार का खास महत्व है. यह कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दौरान बाजारों में खूब रौनक रहती है. कई लोगों के घर धनतेरस के दिन चांदी का सामान खरीदने की परंपरा होती है. अगर आप इस धनतेरस पर चांदी के सिक्के खरीदने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सावधान हो जाएं. क्योंकि इन दिनों नकली चांदी के सिक्कों का बाजार बढ़ा होता जा रहा है. आपको बात दें कि नकली और मिलावटी चांदी के सिक्कों का व्यापार राजस्थान के जयपुर, अजमेर, कोटा और जोधपुर जैसे बड़े शहरों में धड़ल्ले से हो रहा है. इन सिक्कों में चांदी के जगह गिलट या जर्मन सिल्वर की 99 परसेंट की मिलावट होती है. इन पर सिल्वर कोटिंग करके इन्हें मार्केट में उतार दिया जाता है. इनकी शुद्धता दिखाने के लिए इसके साथ फर्जी सर्टिफिकेट भी आपको पकड़ा दिया जाता है.


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कितना आता है खर्च?


एक किलो नकली सिक्के बनाने का खर्च करीब 800-900 रुपये आता है लेकिन बाजार में इसे 55 हजार से 57 हजार रुपये किलो के भाव से बेचा जाता है. जर्मन सिल्वर को बनाने के लिए तांबे, निकल और जस्ता का इस्तेमाल किया जाता है. ये दिखने में बिलकुल चांदी के जैसा होता है लेकिन इसमें चांदी नाम की कोई चीज नहीं होती है. आपको बता दें कि गोलमाल करने वाले दुकानदारों का हाल ये है कि 65%, 70% और 80% शुद्धता वाली चांदी के लिए आपसे 100 % वाली वसूली की जाती है ऊपर से मेकिंग चार्ज अलग से लिया जाता है.


शुद्धता चेक करने के कुछ तरीके 


1. चांदी खरीदते वक्त आप उसका चुंबक टेस्ट कर सकते हैं. अगर चांदी चुंबक की ओर आकर्षित होती है तो वह असली चांदी नहीं है.


2. बर्फ के टुकड़े से भी चांदी की पहचान की जा सकती है. बर्फ के टुकड़े पर असली चांदी का सिक्का रखने पर बर्फ बहुत तेजी से पिघलने लगता है.


3. पत्थर पर चांदी का सिक्का घिसने पर अगर सफेद लकीरें बनती हैं तो समझ लीजिए कि चांदी असली हैं. अगर लकीरों का रंग पीला होता है तो इसका मतलब है कि चांदी मिलावटी है. 



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