Gold Reserves: 4 महीने में 24 टन सोना, ऐसी भी क्या आफत कि RBI ने महंगाई में भी खरीदा रिकॉर्ड गोल्ड?
Gold Price: साल 2023 में आरबीआई ने अपने भंडार में 16 टन सोना ही जमा किया था. 26 अप्रैल 2024 को जारी आंकड़ों के अनुसार आरबीआई (RBI) के पास विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर 827.69 टन सोना है.
RBI Gold Reserves: सोने की कीमतें आसमान पर हैं. फिर भी दुनियाभर के कई प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंक गोल्ड की जमकर खरीदारी कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मौजूदा साल में जनवरी से अप्रैल के चार महीने के दौरान अपने सोने के भंडार में 24 टन गोल्ड जमा किया है. दुनियाभर में चल रहे तनाव के बीच आर्थिक उतार-चढ़ाव का खतरा बना हुआ है. इस कारण आरबीआई की तरफ पिछले सालों के मुकाबले सोने की खरीद ज्यादा की जा रही है. आरबीआई गोल्ड रिजर्व को मुश्किल समय में अपने वित्तीय संसाधनों में भिन्नता लाने की रणनीति का हिस्सा मान रहा है.
आरबीआई के पास कुल 827.69 टन सोना
आरबीआई ने 2024 में जनवरी से अप्रैल के बीच सोने के भंडार में जितना सोना जमा किया है, वो साल 2023 के पूरे साल में आए सोने से डेढ़ गुना ज्यादा है. साल 2023 में आरबीआई ने अपने भंडार में 16 टन सोना ही जमा किया था. 26 अप्रैल 2024 को जारी आंकड़ों के अनुसार आरबीआई (RBI) के पास विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर 827.69 टन सोना है. भरतीयों के बीच सोने को काफी पसंद किया जाता है. लेकिन पहले आरबीआई की तरफ से सोने को ज्यादा इकट्ठा नहीं किया जाता था.
जब RBI को आलोचना का सामना करना पड़ा
1991 में विदेशी मुद्रा संकट के समय थोड़ा सोना विदेशी मुद्रा के बदले देने का वादा करने पर आरबीआई (RBI) को आलोचना का सामना करना पड़ा था. हालांकि बाद में पूरा सोना वापस आ गया था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने सोना इकट्ठा करना दिसंबर 2017 से ही शुरू किया. साल 2022 में आरबीआई ने मार्केट से खूब सोना खरीदा था, लेकिन 2023 में कम खरीदा. इस साल जनवरी से आरबीआई फिर से तेजी से सोना इकट्ठा करने में लगा हुआ है.
विकासशील देशों ने 2024 में 290 टन सोना खरीदा
दुनियाभर के कई देशों के केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी अपने विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता ला रहा है. इसका मकसद रुपये में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाना है. आरबीआई के इकोनॉमिस्ट के ने अपनी मंथली रिपोर्ट में लिखा 'दुनियाभर में अनिश्चितता बढ़ने से विकासशील देशों के केंद्रीय बैंक तेजी से सोना खरीद रहे हैं. 2024 की पहली तिमाही में दुनियाभर विकासशील देशों के बैंकों की तरफ से कुल 290 टन सोना खरीदा गया. वह वैश्विक रूप से सोने की कुल मांग का एक चौथाई है.'
तेजी से सोना खरीदने की बड़ी वजह यह भी है कि गोल्ड सालों साल अपनी कीमत बनाए रखता है. इसे 'सुरक्षित निवेश' कहा जाता है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एक सीनियर एनालिस्ट ने लिखा कि 'पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने संकट के समय, अपने निवेश में विविधता लाने और 'सुरक्षित निवेश' के लिए सोने को ज्यादा महत्व दिया था. साल 2024 में दुनियाभर में अनिश्चितता बनी हुई है, इसका मतलब हुआ कि सोना रखने के पिछले कारण अब भी पहले जैसे ही महत्वपूर्ण हैं.'
कैसे बढ़ा आरबीआई का गोल्ड रिजर्व
दिसंबर 2020---676.7 टन
दिसंबर 2021---754.1 टन
दिसंबर 2022---767.4 टन
दिसंबर 2023---803.4 टन
अप्रैल 2024---827.7 टन
देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा दिसंबर 2023 के अंत तक 7.75 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2024 के अंत तक 8.7 प्रतिशत के करीब हो गया. जितना सोना रिजर्व बैंक ने खरीदा है, उसके अलावा सोने की कीमतें लगातार बढ़ने से भी उसे फायदा हो रहा है.
आरबीआई लगातार क्यों खरीद रहा सोना?
विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता लाने और जोखिम कम करने के लिए आरबीआई का यह एक तरीका है. ज्यादातर देशों की मुद्राएं अमेरिकी डॉलर से जुड़ी होती हैं. अगर डॉलर कमजोर होता है तो आरबीआई के पास मौजूद डॉलर की कीमत भी कम हो जाती है. सोना, डॉलर से अलग चलता है इसलिए यह आरबीआई के लिए 'सुरक्षित निवेश' है. सोना खरीदने का दूसरा कारण यह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में काफी अनिश्चितता बनी हुई है. अलग-अलग देशों के बीच जंग, महंगाई और मंदी से दुनियाभर के देशों की इकोनॉमी प्रभावित हो रही है. ऐसे में सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है, इसलिए भी आरबीआई इसकी खरीद पर फोकस कर रहा है.
सोने की कीमतों में बढ़ोतरी
पिछले कुछ साल में सोने की कीमत तेजी से बढ़ी है. रिजर्व बैंक को यह उम्मीद है कि सोने की कीमतें आने वाले समय में और बढ़ेंगी. इसलिए आरबीआई सोना अभी से खरीदकर आने वाले समय में अच्छा मुनाफा कमाना चाहता है. वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ (IMF) जैसे बड़े संस्थान भी सोना खरीद रहे हैं. यह देखकर आरबीआई भी सोना खरीदने की तरफ फोकस कर रहा है.