नई दिल्ली : धनी लोगों को मिल रहे सब्सिडी के लाभ में कटौती का समय अब नजदीक आता दिख रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने समाज में ऐसे वर्ग के लोगों को बिना मात्रा निर्धारित किए ही सब्सिडी का लाभ देने पर सवाल उठाया है जिनकी पहचान नहीं हो सकती है।


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हालांकि, इसके साथ ही उनका मानना है कि एक बड़े तबके के लिए कुछ न कुछ सब्सिडी जारी रखा जाना जरूरी है क्योंकि देश में अब भी बड़ी संख्या में लोग गरीब हैं और उन्हें सरकार की मदद की जरूरत है।


जेटली ने कहा, कल मैंने कहा था कि आप या मुझ जैसे लोगों को एलपीजी सब्सिडी क्यों मिलनी चाहिए। देखिए, इसका बजट पर कितना बोझ पड़ता है। अब हमें घाटे वाले बजट के साथ जीना पड़ता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि राजकोषीय घाटा एक निश्चित बिंदु से आगे न जाए।


वित्त मंत्री ने कहा, कुछ न कुछ सब्सिडी हमेशा देने की जरूरत होगी, क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्हें मदद की जरूरत है। लेकिन आप ऐसे वर्ग को सब्सिडी का लाभ नहीं दे सकते जो इसका लिए पात्र नहीं है। मंत्री ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में सरकार घाटे को एक अंक विशेष तक सीमित करने का लक्ष्य रखती है और चालू खचरें के लिए बाजार से कर्ज लेती है।


वित्त मंत्री जेटली ने कहा, आप ऐसी सब्सिडी नहीं चला सकते जिसमें लोगों के ऐसे वर्ग को, जिनकी पहचान नहीं की जा सकती, उसे बगैर कोई मात्रा तय किए धन देते जाएं। सब्सिडी निर्धारित मात्रा में होनी चाहिए और उस वर्ग को मिलनी चाहिए जिसको पहचाना जा सके।


जेटली ने जोड़ा कि सब्सिडी के दोहरीकरण से सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होता है। उन्होंने कहा, हम अगली पीढ़ी को कर्ज में छोड़ देंगे। यदि मैं सब्सिडी का पात्र नहीं हूं, मुझे सब्सिडी देने के लिए अगली पीढ़ी को रिण का भुगतान करने को काफी उंचा कर अदा करना होगा। इस तरह की अर्थव्यवस्था देश को हमेशा बेड़ियों में रखेगी।


इन बदलावों को लाने के बारे में जेटली ने कहा, मैं जानता हूं कि हमें विरोध झेलना होगा, लेकिन कम से कम मैंने इस पक्ष में कुछ राय पानी शुरू कर दी है। सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने डीजल कीमतों को नियंत्रणमुक्त करते हुए उसे बाजार से जोड़ दिया है। इससे पहले सरकार डीजल पर सब्सिडी दे रही थी। पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा पेट्रोल कीमतों को नियंत्रणमुक्त किया गया था।


फिलहाल उपभोक्ताओं को 12 रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी वाली कीमत 414 रुपए में (दिल्ली में) मिल रहे हैं। इससे अधिक जरूरत होने पर उपभोक्ता को अतिरिक्त सिलेंडर बाजार भाव 880 रुपए के मूल्य पर मिल रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को समाप्त करने पर विचार कर रही है, जेटली ने कहा कि व्यय प्रबंधन आयोग इसको तर्कसंगत बनाने के लिए सुझाव देगा।


बजट घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय ने बिमल जालान की अगुवाई में व्यय प्रबंधन आयोग का गठन किया है। आयोग को खाद्य, उर्वरक व पेट्रोलियम सब्सिडी को कम करने तथा राजकोषीय घाटे में कमी लाने के उपाय सुझाने हैं। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 4.5 प्रतिशत रहा था।