HDFC-ICICI समेत 6 बैंक कस्टमर की बल्ले-बल्ले, किसी भी बैंक की नेट बैंकिंग से होगा पेमेंट!
interoperability in net banking: एनपीसीआई (NPCI) नेटबैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग बेस्ड पेमेंट में इंटरऑपरेबिलिटी के पहले चरण में लॉन्च के लिए पांच से छह बैंकों के साथ इंटीग्रेशन के प्रोसेस में हैं.
What is Interoperability: बैंक कस्टमर को सहूलिय देने और तेजी से ऑनलाइन पेमेंट ट्रांसफर करने को लेकर पिछले कुछ सालों में तेजी से काम हुआ है. हालिया अपडेट के अनुसार नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) पांच से छह बड़े बैंकों के साथ नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को जोड़ने पर काम कर रहा है. नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को मिलाकर तैयार होने वाले बैंकिंग सिस्टम को इंटरऑपरेबिलिटी (Interoperability) नाम दिया जा रहा है. इसके पहले चरण को लेकर अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है. लेकिन इस काम के नए साल में शुरू होने की संभावना जताई जा रही है.
ICICI और एचडीएफसी बैंक इंटीग्रेशन के अंतिम चरण में
इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार एनपीसीआई (NPCI) की तरफ से शुरू की गई इस पहल के पहले चरण में कुछ बड़े बैंकों के साथ काम किया जाएगा. बाकी बैंकों को दूसरे और तीसरे चरण में किया जाएगा. इस मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक इंटीग्रेशन के अंतिम चरण में है... तीन या चार बैंकों के साथ भी यह काम चल रहा है. हालांकि यह फीचर कब तक लाइव होगा, इसको लेकर तारीख की जानकारी नहीं है. इसको लेकर भी जल्द जानकारी सामने आ सकती है.
UPI बेस्ड पेमेंट सिस्टम पर दबाव कम होगा
एक बार नेटबैंकिंग इंटरऑपरेबल होने के बाद ग्राहक ई-कॉमर्स पोर्टल से सामान खरीदते समय किसी भी बैंक की नेट बैंकिंग से पेमेंट करने का ऑप्शन चुन सकते हैं. अभी बैंकों को पेमेंट एग्रीगेटर्स के साथ पार्टनरशिप करने के लिए पार्टनरशिप की जरूरत होती है, जो बदले में नेटबैंकिंग पेमेंट के लिए व्यापारियों को जोड़ते हैं. एक बार इंटरऑपरेबिलिटी शुरू होने के बाद इस प्रॉब्लम का समाधान हो जाएगा. इस मामले से जुड़े एक शख्स ने कहा कि इसके शुरू होने पर यूपीआई (UPI) बेस्ड पेमेंट पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी. पिछले कुछ साल में UPI तेजी से बढ़ा है. यूपीआई का चलन बढ़ने से डेबिट कार्ड पेमेंट और नेट बैंकिं पर दबाव कम हुआ है.
HDFC और ICICI बैंक ने जानकारी नहीं दी
हालांकि इस बारे NPCI, HDFC और ICICI बैंक की तरफ से इस बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई है. यह पहल NPCI की तरफ से की जा रही है. इंटरऑपरेबिलिटी के साथ पेमेंट एग्रीगेटर और बैंक सीधे एक सामान्य प्लेटफॉर्म के साथ इंटीग्रेट हो सकते हैं और व्यापारियों को उसी प्लेटफॉर्म के दूसरी तरफ ला सकते हैं. अभी नेटबैंकिंग के जरिये पेमेंट को पूरा करने के लिए व्यापारी और एग्रीगेटर बड़े बैंकों के नेटबैंकिंग सिस्टम तक पहुंच प्राप्त करने के लिए मुंबई स्थित बिलडेस्क जैसे भुगतान गेटवे के साथ काम करते हैं.
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार अकेले अक्टूबर महीने में ग्राहकों की तरफ से करीब 420 मिलियन का पेमेंट लेनदेन किए गए थे. इन लेनदेन के जरिये निपटाई गई कुल धनराशि 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी. इन लेनदेन का एवरेज टिकट साइज 2.5 लाख रुपये से ज्यादा होगा. नेटबैंकिंग इंटरऑपरेबिलिटी को पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025 के लिए अपने विजन दस्तावेज में प्रस्तावित किया था. मार्च 2024 में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने NPCI भारत बिल पे को नेटबैंकिंग इंटरऑपरेबिलिटी पर काम शुरू करने की मंजूरी देने के बारे में बात की थी.