Medical Insurance: आपने अगर अपना और पर‍िवार का मेड‍िकल इंश्‍योरेंस करा रखा है तो यह खबर आपके काम की है. मेड‍िकल इंश्‍योरेंस के बारे में आपने अक्‍सर यही सुना होगा क‍ि क्‍लेम लेने के ल‍िए मरीज का कम से कम अस्‍पताल में 24 घंटे के ल‍िए एडम‍िट होना जरूरी होता है. इससे कम समय यद‍ि आप अस्‍पताल में एडम‍िट रहे तो मेड‍िकल इंश्‍योरेंस करने वाली कंपनी क्‍लेम को र‍िजेक्‍ट करने के ल‍िए स्‍वतंत्र है. लेक‍िन उपभोक्‍ता फोरम के एक आदेश में कहा गया क‍ि मेड‍िकल इंश्‍योरेंस कराने वाला व्‍यक्‍त‍ि 24 घंटे से भी कम में क्‍लेम लेने का हकदार है. आइए जानते हैं अदालत ने अपने आदेश में क्‍या कहा-


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आधुन‍िक मशीनों द्वारा तेजी से हो रहा इलाज
वडोदरा कंज्‍यूमर फोरम की तरफ से मेडिकल इंश्योरेंस से जुड़े एक मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया गया है. कंज्‍यूमर फोरम का कहना है क‍ि मेडिकल इंश्योरेंस का क्लेम लेने के ल‍िए यह जरूरी नहीं कि व्यक्ति को अस्पताल में 24 घंटे के लिए भर्ती किया गया हो. आजकल आधुन‍िक मशीनों द्वारा इलाज तेजी से हो रहा है और डॉक्‍टर भी मरीज को ड‍िस्‍चार्ज कर देते हैं. ऐसे में कई बार 24 घंटे से भी कम में मरीज को अस्‍पताल में रहने की जरूरत नहीं होती.


मरीज को भुगतान करने का आदेश
कंज्‍यूमर फोरम की तरफ से मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी को मरीज को भुगतान करने का आदेश दिया गया है. दरअसल, वडोदरा के रहने वाले रमेशचंद्र जोशी ने 2017 में कंज्‍यूमर फोरम में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (National Insurance Company) के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. जोशी का कहना था क‍ि उनकी उनकी पत्‍नी को 2016 में डर्मेटोमायोसाइटिस की समस्‍या हुई. इस दौरान इलाज के ल‍िए उन्हें अहमदाबाद के लाइफकेयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया.


क्लॉज 3.15 का हवाला देकर नहीं द‍िया क्‍लेम
डॉक्‍टरों ने इलाज के बाद अगले ही दिन जोशी की पत्‍नी को डिस्चार्ज कर दिया. जोशी ने इंश्‍योरेंस कंपनी से 44468 रुपये का भुगतान मांगा. लेकिन इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से जोशी को भुगतान करने से मना कर द‍िया गया. इंश्योरेंस कंपनी ने क्लॉज 3.15 का हवाला देते हुए भुगतान से इनकार कर द‍िया. इसके खिलाफ जोशी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी. इंश्‍यारेंस कंपनी ने तर्क द‍िया क‍ि मरीज को लगातार 24 घंटे तक भर्ती नहीं करने के कारण क्‍लेम सेटल नहीं क‍िया गया.


जोशी ने उपभोक्ता फोरम के सामने अपने सभी दस्‍तावेज रखकर पैसे द‍िलाने की गुहार लगाई. जोशी ने दावा क‍िया क‍ि उनकी पत्‍नी को 24 नवंबर 2016 की शाम 5.38 पर भर्ती किया गया. इसके अगले द‍िन 25 नवंबर 2016 को शाम 6.30 बजे उनको ड‍िस्‍चार्ज कर द‍िया गया. फोरम ने अपने फैसले में कहा क‍ि यह मान लिया जाए कि मरीज को 24 घंटे से कम समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. फिर भी वह मेडिकल इंश्योरेंस का क्‍लेम पाने का हकदार है. आधुनिक युग में इलाज के नए-नए तरीके और दवाएं विकसित हुई हैं, ऐसे में डॉक्टर उसी के अनुसार इलाज करते हैं.


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