नई दिल्ली: इजरायल और हमास का युद्ध खत्म होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है।  इस जंग की आंच अब लाल सागर तक पहुंच गई है। लाल सागर इन दिनों जंग का मैदान बन गया है। ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। हमास के खुले समर्थन हूतियों ने ऐलान किया है कि वो उन जहाजों को निशाना बनाएंगे, जो इजरायल जा रहे हैं या फिर उनका इजरायल से कोई भी संबंध है।  इसी क्रम में हूती आंतकियों ने शनिवार को भारतीय तिरंगा लगे एक जहाज पर ड्रोन से हमला कर दिया। यह जहाज तेल लेकर भारत आ रहा था। हूती आंतकियों के इस हमले ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।  ये पहला मौका नहीं है, हूती विद्रोहियों ने बीते दिनों कई कॉमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया है। लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले ने ग्लोबल इकॉनमी के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की चिंता बढ़ा दी है। ग्लोबल इकॉनमी पर संकट बढ़ रहा है। भारत भी इससे अधूता नहीं है।  लाल सागर में हो रहे इन हमलों का कैसे ग्लोबल ट्रेड और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, इससे पहले लाल सागर के महत्व को समझ लेते हैं ।  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्यों जरूरी है लाल सागर 


लाल सागर से दुनिया का 40 फीसदी व्यापार होता है। इस समंदर पर कई देशों की अर्थव्यवस्था टिकी है।  केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के देशों के लिए यह समंदर जरूरी है।  यहां से हर साल 17000 से अधिक जहाज गुजरते हैं।  लाल सागर से हर साल 12 फीसदी वैश्विक कारोबार होता है।  हर साल यहां से 10 खरब डॉलर का सामान आयात-निर्यात होता है। लाल सागर ने अमेरिका और यूरोप के साथ-साथ मध्य पूर्व एशिया के बीच की दूरी को कम कर दी। हूतियों ने इसी मार्ग को अपना निशाना बनाया, ताकि वो बड़े देशों को प्रभावित कर सकें।  यहां से गुजरने वाले जहाजों पर हमले, लूट कर रहे हैं। जिसकी वजह से व्यापार पर खतरा बढ़ता जा रहा है।  हूती आंतकियों के हमले के चलते कई बड़ी शिपिंग फर्मों ने इस मार्ग से कारोबार को रोक दिया है।  जाहिर है कि व्यापार प्रभावित होगा तो इकॉनमी पर असर तय है। इससे भारत भी अछूता नहीं है।  


 बढ़ सकती है महंगाई  


लाल सागर यूरोप को एशिया से जोड़ता है। यह समंदर आगे जाकर स्वेज नगर में मिलता है, जहां से होकर कॉमर्शियल जहाजों की आवाजाही होती है। हूती विद्रोहियों की वजह से शिपिंग कंपनियां यहां से आवाजाही से डर रही है। अगर ये हमले इसी तरह से जारी रहे तो कंपनियों को लंबा रूट लेना होगा। लंबा रूट लेने का मतलब है कि लागत बढ़ेगी। लागत बढ़ेगी तो महंगाई बढ़ेगा। 


क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी 


लाल सागर के मार्ग में अवरुद्ध पैदा होने का मतलब है दुनिया के तमाम देशों का प्रभावित होना। स्वेज नहर का मार्ग बाधित होने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। अगर लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले जारी रहे तो आने वाले दिनों में  तेल की कीमतें बढ़ सकती है। पेट्रोल-डीजल के महंगे होने से आम जरूरत की चीजें महंगी हो जाएंगी।   
 
सप्लाई ​चेन बाधित  
लाल सागर मार्ग बाधित होने पर सप्लाई चेन प्रभावित होगा, जिससे जरूरी सामानों के दाम भी बढ़ेंगे। भारत का दूसरे देशों के साथ कारोबार प्रभावित होगा।  जिससे देश की इकोनॉमी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।  आज के दौर में हर देश दूसरे देश से जुड़ा है। ऐसे में एक की इकॉनमी पर आया संकट दूसरे को भी प्रभावित करता है।  


माल की कमी  


हूती विद्रोहियों के हमले के कारण शिपिंग कंपनियां लाल सागर से कारोबार को रोक रही हैं। इस रास्ते को छोड़कर मालवाहक जहाजों को लंबा रास्ता लेना होगा। ऐसे में माल पहुंचने में देरी हो सकती है। जिसके चलते माल उपभोक्ताओं तक भी देरी से पहुंचेगा। आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। वहीं लंबा मार्ग लेने से शिपिंग कॉस्ट बढ़ेगा। जिसका बोझ कंपनियों पर पड़ेगा और अंत तक ग्राहकों तक यानी आप पर पड़ेगा। देश की इकॉनमी प्रभावित होगी। भारत में एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय देशों से जो सामान का आयात होता है वो लाल सागर के जरिए ही होता है। इस रास्ते से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, दालें और मशीनी उपकरण निर्यात करता है।  इस मार्ग के प्रभावित होने से भारत और ग्लोबल इकॉनमी प्रभावित होगी। लाल सागर में हूती आतंकियों के तांडव के चलते ग्लोबल इकॉनमी प्रभावित हो रही है।  तेल समेत दूसरी जरूरी चीजों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है, जिसके चलते ग्लोबल इकॉनमी ग्रोथ में सुस्ती आ सकती है ।