नई दिल्ली: Income Tax on EPF: पीएफ खाताधारकों के लिए बड़े काम की खबर है. एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड एक रिटायरमेंट स्कीम है, जो आपके भविष्य में आपको फाइनेंशियली मजबूत करती है. इससे आपका बुढ़ापा बिना किसी आर्थिक तनाव के सुकून के साथ गुजरता है. अगर आपने भी  पीएफ खाते में इन्वेस्टमेंट किया है, तो आप अपनी 60 साल की उम्र के बाद या जरूरत पड़ने पर उससे पहले भी इससे पैसा निकाल सकते हैं. EPF से पैसे निकालने के लिए टैक्स के कुछ खास नियम बनाए गए हैं. आइए जानते हैं PF से पैसे निकालने पर टैक्स के जरूरी नियम. 


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गौरतलब है कि 1 अप्रैल से टैक्स के लिए नया नियम लागू हो रहा है. अब नए नियमों के अनुसार 2.5 लाख रुपये से ज्यादा पीएफ डिपॉजिट करने पर उससे मिलने वाले इंट्रस्ट पर भी टैक्स लगेगा. आपको बता दें कि करंट फाइनेंशियिल ईयर में फंड पर 8.5% का इंट्रस्ट रेट मिल रहा है. इसे EEE यानी की एग्जेम्प्ट, एग्जेम्प्ट, एग्जेम्प्ट कैटेगरी में शामिल किया जाता है. इसके अलावा पीएफ पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का फायदा भी मिलता है. आइए जानते हैं टैक्स को लेकर नया नियम.


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जानिए नए PF नियमों के मुख्य बातें-


-  मौजूदा पीएफ अकाउंट्स को टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल कॉन्ट्रिब्यूशन अकाउंट्स में बंट जाएंगे. 
- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट्स में उनका क्लोजिंग अकाउंट भी शामिल होगा क्योंकि इसकी तारीख 31 मार्च, 2021 होती है.
- नए पीएफ नियम अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल, 2022 से लागू हो सकते हैं.
- सालाना ₹ 2.5 लाख से ज्यादा के एंप्लाई कॉन्ट्रिब्यूशन से पीएफ इनकम पर नया टैक्स लागू करने के लिए आईटी नियमों के तहत एक नई धारा 9डी शामिल की गई है.
- टैक्सेबल ब्याज गणना के लिए मौजूदा पीएफ अकाउंट में दो अलग-अलग अकाउंट भी बनाए जाएंगे.


जानिए EPF को लेकर क्या है टैक्स के नियम 


फाइनेंस एक्ट 2021 (Finance act 2021) के नए प्रावधान के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड में एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा कंट्रीब्यूशन करता है तो 2.5 लाख रुपये के ऊपर जमा के ब्याज पर टैक्स (Tax on Interest) देना होगा. उदाहरण से समझें तो अगर किसी कर्मचारी का 3 लाख रुपये तक का निवेश है तो उसे अतिरिक्त 50000 रुपये पर मिले ब्याज पर टैक्स देना होगा. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 5 लाख रुपये ही होगी.


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जानिए क्या है रूल 9D


नए नियमों के मुताबिक, CBDT ने इसके लिए रूल 9D को नोटिफाई किया गया है जिसमें प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन (Tax on EPF contribution) पर मिले ब्याज पर टैक्स की कैलकुलेशन कि जाएगी. अब प्रोविडेंट फंड (Provident fund) में दो तरह अकाउंट होंगे. पहला- टैक्सेबल अकाउंट और दूसरा- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट. 9D नियम में दो अकाउंट को मैनेज कर के बारे में बताया गया है. अब समझते हैं इन दो अकाउंट के बारे में.


टैक्सेबल अकाउंट 


नए नियम के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष में किसी के EPF अकाउंट में 2.50 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा होती है तो अतिरिक्त राशि पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. इस पर कैलुकेलेशन के लिए बाकी पैसा टैक्सेबल अकाउंट में जमा होगा. लेकिन, उस पर मिल वाले ब्याज पर टैक्स कटेगा.


नॉन टैक्सेबल


इसमें नए नियम के तहत अगर किसी के EPF अकाउंट में 5 लाख रुपये जमा हैं तो 31 मार्च 2022 तक जमा रकम बिना टैक्स वाले खाते में जमा होगी. यानी इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.


इन टैक्सपेयर्स को फर्क नहीं पड़ेगा


आपको बता दें कि इस नए नियम के लागू होने के बाद, 2.5 लाख रुपये की लिमिट का फायदा ज्यादातर पीएफ सब्सक्राइबर्स को होगा. लेकिन छोटे और मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को नए नियम से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यह मुख्य रूप से हाई इनकम वाले कर्मचारियों को प्रभावित करेगा. यानी अगर आपकी सैलरी कम है या एवरेज है तो आपको इस नए नियम से फर्क नहीं पड़ेगा. 


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