नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने गुरुवार (31 अगस्त) को कहा कि आर्थिक वृद्धि के स्तर को 10 प्रतिशत से अधिक स्तर पर ले जाने के लिये अच्छा प्रदर्शन करने वाले करीब 10 राज्यों की जरूरत है. कांत ने कहा कि सात पूर्वी राज्य तथा 201 जिले भारत को पीछे ले जा रहे हैं और इन राज्यों एवं जिलों में जीवन गुणवत्ता में सुधार किये बिना देश के लिये वृद्धि करना संभव नहीं है. उन्होंने यहां इकोनामिस्ट शिखर सम्मेलन में एक परिचर्चा में भाग लेते हुए कहा, ‘आपको 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि के लिये बेहतर प्रदर्शन करने वाले करीब 10 राज्यों की जरूरत है. आपको इन राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा का बोध सृजित करने की जरूरत है. अगर ये राज्य वृद्धि करते हैं तब भारत तेजी से वृद्धि करेगा.’


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कांत ने उच्च वृद्धि दर हासिल करने के लिये संस्थागत पुनर्गठन की जरूरत पर भी बल दिया. उन्होंने कहा, ‘आप 19वीं सदी के संस्थानों के साथ 21वीं सदी में वृद्धि नहीं कर सकते. इसीलिए आपको पुनर्गठन करने की जरूरत है. यही कारण है कि हम भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) जैसे संस्थानों के पुनर्गठन की दिशा में काम कर रहे हैं.’ 


नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि अगर कोई यह सोचता है कि भारत केवल घरेलू मांग के आधार पर वृद्धि कर सकता है, वह गलत है. ‘आप निर्यात बाजार में जो हासिल करते हैं, वह घरेलू बाजार के मुकाबले 10 गुना अधिक होता है.’ उन्होंने कहा, ‘इसीलिए हमें और निर्यात की जरूरत है. दूसरा भारत को आकार और पैमाने पर भरोसा करना चाहिए. भारतीय कंपनियों को अपना आकार निश्चिचत रूप से बढ़ाना चाहिए.’ 


कांत ने यह भी कहा कि भारत को हर स्तर पर प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में पैठ बढ़ाने के लिये निजी क्षेत्र में जो दृष्टिकोण और लालसा होनी चाहिए, वह भारत में नहीं दिखता. कांत ने कहा कि भविष्य में 80 प्रतिशत जीडीपी शहरी क्षेत्रों से आएगा. ‘अगले 50 साल में भारत शहरीकरण में उतना काम करेगा जितना उसने 5,000 साल में किया.'