वॉशिंगटन: भारत की प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस टेक्नोलॉजीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का ने इस आम धारणा को खारिज किया है कि भारत का सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग अमेरिकी एच1-बी वीजा की मोहताज है. यह वीजा यहां अल्पकालिक सेवा केलिए आने वाले विदेशी पेशवरों के लिए जारी किया जाता है और माना जाता है कि यह भारत की प्रमुख साफ्टवेयर सेवा निर्यातक कंपनियों में लोक प्रिय है.


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अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने इस वीजा के दुरपयों का का आरोप लगाया है और कहा है कि इस कारण अमेरिकियों के रोजगार के अवसर मारे जाते हैं. सिक्का का कहना कि भारतीय आईटी कंपनियों को नयी तकनीकों के माध्यम से मिलने वाले नए अवसरों का उपयोग करने की जरूरत है. इन नयी तकनीकों में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक शामिल हैं जिसकी वजह से इस तेजी से बदलते सूचना प्रौद्योगिकी वातापरण में भारत अपनी शीर्ष स्थिति को बनाए रख सकता है.


एक साक्षात्कार में 50 वर्षीय सिक्का ने कहा, 'यह कहना या सोचना गलत होगा कि हम एच-1बी पर निर्भर हैं. उदाहरण के लिए यदि आप पिछले दस साल की अवधि पर गौर करें तो करीब 65,000 एच-1बी वीजा हर वर्ष जारी किए गए. इस प्रकार 10 साल में 6,50,000 वीजा जारी किए गए जबकि हमने (आईटी कंपनियों) सामूहिक तौर पर कई लाख लोगों को नौकरी दी है. अकेले इंफोसिस के 2,00,000 कर्मचारी हैं और टीसीएस लगभग इससे दोगुने लोगों को नौकरी देता है.' 


उन्होंने कहा कि ऐसे में यह सोचना कि भारतीय आईटी कंपनियां एच-1बी पर निर्भर करती है, यह सही नहीं है. सिक्का ने यह बात एक प्रश्न के जवाब में कही. उनसे पूछा गया था कि इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबारी मॉडल एच-1बी वीजा पर आधारित है और ट्रंप सरकार के निर्णय से उनके प्रभावित होने की आशंका है. वास्तव में माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी अगले हफ्ते प्रस्तावित अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात में इस मुद्दे को उठा सकते हैं.


कैलिफोनर्यिा में पालो अल्टो के साथ फोन पर बातचीत में सिक्का ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में एच-1बी वीजा का बहुत उपयोग हुआ है. 'लेकिन यह हमेशा मूल्यों की आपूर्ति के बारे में हुआ है.' सिक्का ने कहा कि अब ज्यादा से ज्यादा काम स्वचालित होता जा रहा है. भारतीय आईटी कंपनियों को नवोन्मेषी और नए क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि (यह नए क्षेत्र) आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), मशीन लर्नगि, इंटरनेट ओपनिंग, वॉयस इंटरफेस और चैट इंटरफेस, वर्चुअल रियल्टी, साइबर सुरक्षा और अन्य इसी तरह की चीजें हैं. इसलिए हमें स्वचालन (ऑटोमेशन) या एआई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हमारे आस-पास की दुनिया स्वाचालित हो रही है और हमारे काम के नए हिस्सों में और अधिक नवोन्मेषी होती जा रही है. 


सिक्का ने कहा, 'मेरा मानना है कि यह सब हमारे भविष्य के बारे में है, हमारे जीवन का हर मूल्य सॉफ्टवेयर से, एआई से बदल रहा है और हमें इसे अपनाने की जरूरत है.' इंफोसिस समेत भारतीय आईटी कंपनियों ने इस नए रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हम आम तौर पर ऐसे ही हैं. आईटी उद्योग अभी भी अपने शुरआती काल में है और मैं इंफोसिस में जो हो रहा है उससे बहुत खुश हूं.' 


उन्होंने कहा कि पिछले 35 सालों में हमने बहुत कुछ वापस किया (अमेरिका को) है और अब हम यहां अगले दो सालों में 10,000 नए रोजगार सृजन के बारे में सोच रहे हैं. हमने इस पर काम शुरू कर दिया है. हम अपना पहला केंद्र इंडियनपोलिस में शुरू कर चुके हैं. हम अगले साल तक 500 लोगों को नौकरी देंगे. हम निकट भविष्य में और भी केंद्र खोलेंगे. सिक्का ने कहा कि भारतीय आईटी उद्योग ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान किया है और आगे भी करना जारी रखेगी.