Indian Railway Interesting Facts: आपने ट्रेन में अक्सर सफर किया होगा. आपने देखा होगा कि उसे 2 ड्राइवर मिलकर चलाते हैं. उनमें से मेन ड्राइवर को लोको पायलट और उसके सहयोगी को असिस्टेंट लोको पायलट कहते हैं. जब जब लोको पायलट को ट्रेन चलाते हुए झपकी आने लगे या उसकी तबियत खराब हो जाए तो असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन की कमान संभाल लेता है और ट्रेन की कमान अपने हाथ में लेकर उसे अगले स्टेशन तक जाता है. जहां कोई दूसरी व्यवस्था की जाती है.  जरा सोचिए, अगर ट्रेन के दोनों पायलट सो जाएं तो क्या होगा. क्या ट्रेन एक्सिडेंट का शिकार हो जाएगी. आज हम इसी रहस्य से पर्दा हटाने वाले हैं. 


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रेलवे ने कर रखा है इंतजाम


अगर आप सोच रहे हैं कि ट्रेन के दोनों पायलटों के सोने पर रेल पटरी से उतर जाएगी या नॉन-स्टॉप भागती चली जाएगी तो ऐसा नहीं है. भारतीय रेलवे ने ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए ट्रेनों में इंतजाम कर रखे हैं. इसके तहत अगर ट्रेन के दोनों ड्राइवर सो भी जाते हैं तो ट्रेन धीरे-धीरे अपने आप रुक जाएगी और साथ ही कंट्रोल रूम को भी इसकी जानकारी मिल जाएगी. जिसके बाद उन्हें जगाने के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए जाएंगे. 


ऐसे काम करता ये सिस्टम 


ट्रेन का लोको पायलट जब भी ट्रेन को चलाता है तो उसे थोड़ी-थोड़ी देर में उसकी स्पीड थोड़ी-कम ज्यादा करनी होती है. इसके अलावा हॉर्न भी देना होता है. ऐसा करने से ट्रेन के इंजन में लगा सिस्टम समझ जाता है कि लोको पायलट जागा हुआ है और ट्रेन पूरी सुरक्षा के साथ आगे बढ़ रही है. अगर ट्रेन का पायलट 1 मिनट तक कोई मूवमेंट न करे तो इंजन में लगा डिवाइस सक्रिय हो जाता है. उस उपकरण को विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस कहा जाता है. 



अपने आप रुक जाती है ट्रेन


पायलट की ओर से कोई हरकत न होने पर यह डिवाइस ऑडियो विजुअल अलार्म बजाने लगता है. पायलट या असिस्टेंट लोको पायलट को 17 सेकंड के अंदर उसे बंद करके रिस्पॉंस देना होता है. ऐसा न करने पर 17 सेकंड बाद ट्रेन अपने आप खुद रुकने लग जाती है. साथ ही इसकी सूचना अपने आप कंट्रोल रूम को चली जाती है, जिसके बाद पायलट को फोन करके जगाया जाता है और ट्रेन आगे रवाना की जाती है. 


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