Indian Railways: भारतीय रेलवे से वीआईपी कल्चर को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. इसी के तहत रेल मंत्रालय ने फैसला लिया है कि अधिकारियों के कमरों के मेज पर घंटी नहीं रहेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री के सेल में इस फैसले को लागू कर दिया गया है.  अधिकारियों को अब अटेंडेंट को बुलाने के लिए उठकर कमरे से बाहर जाना होगा और बुलाना होगा. अगर अधिकारी बिजी हैं तो उन्हें फोन से अटेंडेंट को बुलाना होगा.  रेल मंत्रालय का ये फैसला अभी तक मंत्री सेल में लागू हुआ है. संभावना है कि यही फैसला जल्द रेलवे बोर्ड में भी लागू होगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रेल कोच को लेकर भी लिया जा चुका है फैसला


बता दें कि अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री बनने के बाद कई बड़े फैसले ले चुके हैं. अभी हाल ही में उन्होंने रेल कोच को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था. रेलवे, ट्रेन को आधुनिक बनाने के साथ-साथ बीमार यात्रियों का भी खास ख्याल रखने का निर्णय लिया.  रेलवे अपनी सेवाओं को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयासरत है और ऐसे में कोच की बेहतर डिजाइन से लेकर ट्रेन की रफ्तार, प्लेटफॉर्म तथा ट्रेन कोच की सफाई पर ध्यान दिया है. अब रेलवे ने सफर के दौरान यात्रियों के कई विकल्प खुले रखे हैं. इसी लिहाज से रेलवे ने अब यात्रियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सफर में सुविधाएं देने का फैसला किया है. 


हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि आने वाले वर्षों में देश को रेलवे का एक नया रूप देखने को मिलेगा. उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में ये जानकारी भी दी थी कि सभी रेलवे स्टेशनों और यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेनों में जीवन रक्षक दवाओं, उपकरणों, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि से युक्त एक मेडिकल बॉक्स उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं.


फ्रंट लाइन स्टाफ यानी ट्रेन टिकट परीक्षक, ट्रेन गार्ड व अधीक्षक, स्टेशन मास्टर आदि को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. ऐसे कर्मचारियों के लिए नियमित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. सभी रेलवे स्टेशनों पर नजदीकी अस्पतालों और डॉक्टरों की सूची उनके संपर्क नंबरों के साथ उपलब्ध है.


रेलवे, राज्य सरकार के या निजी अस्पतालों और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं की एम्बुलेंस सेवाओं का उपयोग घायल, बीमार यात्रियों को अस्पतालों व डॉक्टर के क्लीनिक तक पहुंचाने के लिए किया जाता है. इसी के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर में तीन सप्ताह बाद चलने वाली रैपिड रेल कोच के आखिरी डिब्बे में स्ट्रेचर का इंतजाम किया गया है. अगर किसी मरीज को मेरठ से दिल्ली रेफर किया जाता है तो इसके लिए एक अलग कोच की व्यवस्था है ताकि कम कीमत में मरीज को पहुंचाया जा सके.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे