नई दिल्ली: देश की आर्थिक वृद्धि दर में पिछली पांच तिमाहियों से जारी गिरावट का रुख थम गया. आर्थिक वृद्धि दर तीन साल के न्यूनतम स्तर से बाहर निकलते हुए चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत पर पहुंच गई. विनिर्माण क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ने तथा कंपनियों के नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी के साथ सामंजस्य बिठाने से जीडीपी की चाल तेज हुई है. वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही थी जो वृद्धि का तीन साल का सबसे कम आंकड़ा रहा. नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह सबसे कम वृद्धि दर थी.


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वहीं इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 7.5 प्रतिशत था. इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रही थी. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा हाल में करीब 14 साल बाद देश की रेटिंग बढ़ाये जाने के बाद आर्थिक वृद्धि का यह आंकड़ा आया है. वृद्धि दर के इस आंकड़े से मोदी सरकार के तरकश में एक और तीर आ गया है. नोटबंदी तथा जीएसटी से 2,400 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के आरोपों को झेल रही मोदी सरकार के लिये वृद्धि का यह आंकड़ा राहत भरा है.


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रेटिंग एजेंसी मूडीज का अनुमान है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर 2017-18 में 6.7 प्रतिशत तथा अगले साल 7.5 प्रतिशत रहेगी. मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत ने संकेत दिया कि आंकड़े बढ़ सकते हैं, क्योंकि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को लेकर कारोबारियों में अनिश्चिता थी और हो सकता है उन्होंने उस दौरान कर का कम आकलन किया हो. ‘आर्थिक वृद्धि दर में पांच तिमाही तक गिरावट के बाद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के रूख में हम बदलाव देख रहे हैं.’ 


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्विटर पर लिखा है, ‘सरकार का आर्थिक वृद्धि को गति देने का प्रयास रंग ला रहा है. यह दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत वृद्धि तथा सेवा क्षेत्र में 7.1 प्रतिशत वृद्धि से देखा जा सकता है. सकल स्थिर पूंजी निर्माण पहली तिमाही में 1.6 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत पर पहुंच गया.’ उन्होंने कहा, ‘सितंबर तिमाही का जीडीपी का आंकड़ा उल्लेखनीय बदलाव के रुख को बताता है और यह विनिर्माण में तेजी का नतीजा है.’ जेटली ने कहा कि परंपरागत रूप से जुलाई-सितंबर तिमाही में त्यौहारी मांग को पूरा करने के लिये काफी उत्पादन होता है. इससे पिछली तिमाही में कारोबारियों ने जीएसटी के क्रियान्वयन को देखते हुए उत्पादन में थोड़ा विलम्ब किया.


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उन्होंने कहा कि सितंबर तिमाही में उत्पादन बढ़ने का कारण शुरुआती तौर पर खपत और बिक्री है. हालांकि इस दौरान कृषि वृद्धि घटकर 1.7 प्रतिशत रही. जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 6.1 प्रतिशत रहा जो इस साल जून तिमाही में 5.6 प्रतिशत था. पिछले वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में यह 6.8 प्रतिशत थी. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीवीए में वृद्धि पहली छमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 5.8 प्रतिशत थी.


केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के अनुसार विनिर्माण, बिजली, गैस, जल आपूर्ति, अन्य उपयोग सेवाओं तथा व्यापार, होटल, परिवहन तथा संचार एवं प्रसारण से जुड़े सेवा क्षेत्र में 6 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई. वहीं कृषि, वानिकी तथा मत्स्यन क्षेत्र की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में 1.7 प्रतिशत, खनन में 5.5 प्रतिशत, निर्माण में 2.6 प्रतिशत तथा वित्तीय, बीमा, रीयल एस्टेट तथा पेशेवर सेवाओं में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. लोक प्रशासन, रक्षा तथा अन्य सेवा की वृद्धि दर 6 प्रतिशत रही.