Indigo Success Story: भारत का एविएशन सेक्टर झटके खा रहा है. गो फर्स्ट, विस्तारा, स्पाइसजेट जैसी बड़ी एयरलाइंस कंपनियां मुश्किलों का सामना कर रही हैं. वहीं इंडियो एयरलाइन ने बड़ा रिकॉर्ड बना लिया है. भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एविएशन कंपनी बन गई है. 1.466 ट्रिलियन रुपये के मार्केट कैप के साथ इंडिगो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइंस बन गई है. इससे आगे सिर्फ डेल्टा एयरलाइंस (Delta Air Lines) और रयानएयर (Ryanair) हैं.  इंडिगो से हर साल 8 करोड़ से अधिक यात्री सफर करते हैं. हालांकि इस मुकाम को हासिल करना आसान नहीं था. कई उतार-चढ़ाव के बाद इंडिगो ने इस कामयाबी को हासिल किया है. दो दोस्त और उधार के एयरलाइन के साथ इंडिगो की शुरुआत हुई. जब एविएशन इंडस्ट्रीज में सुब्रत रॉय, नरेश गोयल , विजय माल्या जैसे दिग्गज अपने हाथ जला रहे थे, उस दौर में दो दोस्तों ने इंडिगो की सफलता के साथ शुरुआत की.


पिता की दिवालिया कंपनी से रखी नींव


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इंडिगो के पीछे नैनिताल के राहुल भाटिया  और उनके दोस्त राकेश गंगवाल का दिमाग है. राहुल के पिता दिल्ली एक्सप्रेस (Delhi Express) नाम से एक ट्रैवल एजेंसी चलाते थे, लेकिन उनकी काम ठप पड़ गया. कंपनी डूब गई. पिता की मदद करने के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने के बाद राहुल भाटिया ने ट्रैवल के फील्ड में उतरने का फैसला किया.  राहुल ने अपनी ट्रैवल कंपनी इंटरग्लोब की शुरुआत की. यही कंपनी आगे चलकर इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड बनी, जिसे आप इंडिगो के नाम से जानते हैं. 


कैसे हुई इंडिगो की शुरुआत 


राहुल भाटिया कुछ बड़ा करना चाहते थे. उन्होंने अमेरिका में अपने दोस्त राकेश गंगवाल से बात की और उन्हें एविएशन सेक्टर में उतरने के लिए मना लिया. साल 2004 में उन्हें इंडिगो के लिए लाइसेंस मिल गया. लाइसेंस तो मिल गया, लेकिन उनके पास विमान नहीं थी. राकेश गंगवाल ने अपनी जान-पहचान के बदौलत एयरबस से उधारी पर 100 विमान दिलाए और साल 2006 में नई दिल्ली से इम्फाल के लिए इंडिगो की पहली उड़ान शुरू हुई.  इस उड़ान के साथ ही भारत के एविएशन इंडस्ट्री की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने लगी.  


चप्पल पहनने वालों को विमान में सफर का मौका  


जहां बड़ी एयरलाइंस कंपनियां पानी की तरह पैसा बहा रही थी, इंडिगो ने अपना पूरा फोकस इकोनॉमी क्लास पर किया. विमान में मनोरंजन, एयरपोर्ट लॉन्ज जैसी सुविधाओं से खुद को दूर रखा. इंडिगो ने अपने हर एयरक्राफ्ट पर 180 इकॉनमी क्लास की सीटें तय कर दी. किराया कम रखकर उन्होंने मिडिल क्लास को टारगेट किया. कंपनी ने उन लोगों को अपना कस्टमर बनाने पर फोकस किया, जो फ्लाइट से सफर तो करना चाहते हैं, लेकिन अधिक किराए की वजह से नहीं करते. उन्होंने कम चार्ज रखकर अधिक से अधिक टिकट बेचे. कंपनी ने देश के प्रमुख शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ दिया.  इंडिगो ने हवाई चप्पल पहनने वाले लोगों को भी प्लेन में बैठने का मौका दिया.   


चुनौतियों के साथ मिली सफलता 


कंपनी ने उस दौर में सफलता हासिल की, जब जेट एयरवेज, किंगफिशर, एयर सहारा जैसी एयरलाइंन कंपनियां डूब रही थी. साल 2010 तक कंपनी के सेल 2,664 करोड़ तक पहुंच चुकी थी. कंपनी ने 550 करोड़ रुपये का प्रॉफिट बना लिया. इंडिगो ने शुरुआती साल में ही 17.3 फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया. साल 2015 में कंपनी ने शेयर बाजार में एंट्री मारी. इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब ने 3008.5 करोड़ का आईपीओ लॉन्च किया, जो बोली से 6.63 गुना सब्सक्राइब हुई. 


दोस्ती में दरार


सब ठीक चल रहा था, लेकिन साल साल 2020 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच विवाद शुरू हो गया. गंगवाल कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के नियमों में बदलाव चाहते थे. साल 2022 में उन्होंने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया. कंपनी में राकेश गंगवाल और उनकी पत्नी की क्रमश:13.23 फीसदी और 2.99 फीसदी हिस्सेदारी है.  


रोज 1800 से ज्यादा उड़ान  


बता दें कि मार्केट कैप के मुताबिक इंडिगो देश की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइंस हैं. रोजाना 1800 से ज्यादा उड़ानें, 100 से ज्यादा  डेस्टिनेशन्स  के लिए उड़ती हैं. इंडिगो के पास 300 से ज्यादा  जहाज हैं. तमाम मुश्किलों के बावजूद इंडिगो ने एविएशन सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत की हुई है.