नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. (बीपीसीएल) 26-26 प्रतिशत हिस्सेदारी गेल इंडिया लि. में खरीद सकती है. इसके लिए कंपनियां 20,000-20,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करेंगी. इसका मकसद पेट्रेलियम क्षेत्र में एकीकृत कंपनियां बनानी हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2017 के अपने बजट भाषण में पेट्रोलियम क्षेत्र में एकीकृत कंपनियों के गठन की घोषणा की थी. उसके बद आईओसी तथा बीपीसीएल ने देश की सबसे बड़ी गैस विपणन तथा परिवहन कंपनी गेल में सरकार की 54.89 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए अलग-अलग प्रस्ताव दिए.


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मालिकाना हक सार्वजनिक्र उपक्रमों में स्थानातंरित करने का प्लान
एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि चूंकि सरकार तेल कंपनियों के विलय के बजाए अपना मालिकाना हक अधिक नकदी वाले सार्वजनिक्र उपक्रमों में स्थानांतरित करने पर गौर कर रही है. ऐसे में बेहतर विकल्प गेल में 54.89 प्रतिशत हिस्सेदारी बराबर-बराबर आईओसी और बीपीसीएल में बांटना होगा. गेल के शेयर का भाव शुक्रवार को बंबई शेयर बाजार में 440.85 रुपये था. इस हिसाब से हिस्सेदारी 41,000 करोड़ रुपये की है.


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इस साल जनवरी में ऑयल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) में सरकार की 51.1 प्रतिशत हिस्सेदारी 36,915 करोड़ रुपये में खरीदी. लेकिन इस सौदे के बाद एचपीसीएल का ओएनजीसी में विलय नहीं हुआ और वह अलग सूचीबद्ध कंपनी बनी हुई है. इस खरीद के बाद एचपीएसीएल अब ओएनजीसी की अनुषंगी कंपनी बन गई है. इसके साथ ओएनजीसी के दो निदेशक एचपीसीएल के निदेशक मंडल में शामिल हुए.


सूत्र के अनुसार आईओसी और बीपीसीएल इसी मॉडल को अपना सकते हैं और सरकार की हिस्सेदारी स्वयं में बराबर-बराबर बांट सकती हैं. गेल उनकी अनुषंगी कंपनी बन जाएगी और स्वतंत्र निदेशक मंडल के साथ एक सूचीबद्ध कंपनी के रूप में काम करती रहेगी. गेल के निदेशक मंडल में आईओसी और बीपीसीएल का एक-एक निदेशक शामिल होगा.


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उसने कहा कि सरकार ने अब तक आईओसी और बीपीसीएल के बारे में कोई निर्णय नहीं किया है. कैसे और किसे हिस्सेदारी बेची जाएगी, इस बारे में विचार अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा. दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी का बांटना विभिन्न विकल्पों में से एक है जिसपर विचार-विमर्श के समय गौर किया जाएगा.