नई दिल्ली: क्‍या सालाना एक लाख सत्‍तर हजार रुपये की कमाई वाले किसी शख्‍स का किसी विदेश बैंक में खाता हो सकता है?  जी हां, ऐसा ही है. एक लाख 70 हजार रुपये की वार्षिक कमाई घोषित करने वाली विदेशी बैंक खाताधारक महिला को 196 करोड़ रुपये विदेश में छुपाने के मामले में अब टैक्स देना होगा. इनकम टैक्‍स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) मुंबई ने बुधवार को इस संबंध में अहम निर्णय देते हुए कहा कि विदेशी स्विस बैंक के व्यक्तिगत खाते में पड़ा 196 करोड़ रुपया टैक्स के दायरे में आता है.


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महिला ने अपनी वार्षिक कमाई एक लाख 70 हजार रुपये दिखाई थी. इस प्रकार देखें तो विदेशी बैंक खाते में जमा धनराशि कमाने में उसे 15 हजार साल लगेंगे. इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने रेनू टी थरानी की अपील को खारिज करते हुए एचएसबीसी प्राइवेट बैंक, जिनेवा में खाते की पुष्टि की.


जांच में दर्ज हुआ कि रेनू टी थरानी मदर टेरेसा की तरह कोई मशहूर हस्ती नहीं हैं कि उन्हें कोई अज्ञात व्यक्ति 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का भरोसा करे. इसके अलावा यह भी पता चला कि केमैन द्वीप परोपकारी कार्यों के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि बेहिसाब धन और मनीलॉड्रिंग के लिए उसकी पहचान है.


ट्रिब्यूनल ने पाया कि यह एक अधिकार क्षेत्र है. जिसमें निवासियों की तुलना में कंपनियों की संख्या दोगुनी है. जिनमें से अधिकांश केवल कागजों पर है. यह भरोसा करना भोलापन होगा कि गोपनीयता, उदार कर लाभों के कारण बेनामी मुख्य गतिविधियों के बजाए ये कंपनियां  कोर गतिविधियों के लिए यहां होगीं.


ट्रिब्यूनल ने आगे कहा कि खाता धारक का लेन-देन के साथ गहरा नाता है और यह समझ से बाहर है कि महिला को इस कंपनी के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जबकि एक बड़ी राशि का खुद को लाभार्थी बनाया हुआ है.


आपको बता दें कि आयकर विभाग द्वारा जारी नोटिस के जवाब में महिला ने विदेशी बैंक में खाता होने से इनकार कर दिया था और जांच दोबारा करने पर आपत्ति जताई थी.


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