चावल निर्यात से रोक हटने से होगा फायदा, बढ़कर 50 अरब डॉलर पर पहुंचेगा कृषि निर्यात!
Agriculture Export: चावल का निर्यात पिछले साल के 1.4-1.5 करोड़ टन के मुकाबले इस वित्त वर्ष में 1.7-1.8 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है. अधिकारी ने कहा, ‘इससे निर्यात को काफी बढ़ावा मिलेगा.’
Rice Export Ban Lift: अच्छी मांग और गैर-बासमती चावल के निर्यात से रोक हटने से देश का कृषि निर्यात मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) में 50 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है. एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि चावल, गेहूं और चीनी पर निर्यात पर रोक लगने से कृषि निर्यात पर करीब 6-7 अरब डॉलर का असर पड़ता है. अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन अब चावल पर प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, हमें उम्मीद है कि कृषि निर्यात 50 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. अबतक का रुझान अच्छा है. हालांकि, वृद्धि अभी सकारात्मक नहीं है लेकिन अब चावल खुल गया है, दिसंबर के अंत तक हम सकारात्मक क्षेत्र में होंगे.’
बासमती चावल की खेप 55 लाख टन तक पहुंच सकती है
चावल का निर्यात पिछले साल के 1.4-1.5 करोड़ टन के मुकाबले इस वित्त वर्ष में 1.7-1.8 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है. अधिकारी ने कहा, ‘इससे निर्यात को काफी बढ़ावा मिलेगा.’ उन्होंने कहा कि बासमती चावल की खेप 55 लाख टन तक पहुंच सकती है, जबकि उष्णा चावल की खेप 70-80 लाख टन और गैर-बासमती चावल की खेप 40 लाख टन से अधिक हो सकती है. जिन मुख्य वस्तुओं में अच्छी वृद्धि दर्ज की जा रही है, उनमें फल, सब्जियां, मांस और इसके उत्पाद, पेय पदार्थ और खाद्य प्रसंस्करण शामिल हैं. गेहूं पर निर्यात प्रतिबंध हटाने पर किसी चर्चा के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि अभी तक कोई योजना नहीं है.
2030 तक कृषि निर्यात 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य
वाणिज्य मंत्रालय साल 2030 तक कृषि निर्यात को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. अक्टूबर में सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल की विदेशी खेप पर लगी रोक हटा दी और उष्णा चावल तथा भूरा चावल को निर्यात शुल्क से छूट दे दी. ये उपाय ऐसे समय में किए गए हैं, जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त स्टॉक है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं. इस वित्त वर्ष के अप्रैल-अगस्त के दौरान देश ने 20.1 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया. वित्त वर्ष 2023-24 में यह 85 करोड़ 25.2 लाख डॉलर था. हालांकि निर्यात पर प्रतिबंध था.
निर्यात पर प्रतिबंध के बीच सरकार मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अफ्रीकी देशों जैसे मित्र राष्ट्रों को निर्यात खेप भेजने की अनुमति दे रही थी. चावल की इस किस्म का भारत में व्यापक रूप से सेवन किया जाता है और वैश्विक बाजारों में भी इसकी मांग है, खासकर उन देशों में जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध उन कारकों में से एक है जिसने खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया है. (इनपुट भाषा से भी)