NDA या INDIA...जिसकी भी बने सरकार, विरासत में मिलेगी मजबूत इकोनॉमी, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ गए हैं. बीजेपी को स्पष्ट बहुमत तो नहीं मिली, लेकिन एनडीए ने 272 के जादुई आंकड़े को पार कर बहुमत हासिल कर ली है. भले ही बीजेपी अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई हो, लेकिन गठबंधन के सहारे उनकी सरकार बन सकती है.
Lok Sabha Eection Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ गए हैं. बीजेपी को स्पष्ट बहुमत तो नहीं मिली, लेकिन एनडीए ने 272 के जादुई आंकड़े को पार कर बहुमत हासिल कर ली है. भले ही बीजेपी अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई हो, लेकिन गठबंधन के सहारे उनकी सरकार बन सकती है. हालांकि गठबंधन की अस्थिरता किसी से छिपी नहीं है. INDIA गठबंधन ने चौंकाते हुए खबर लिखे जाने तक 233 सीटों पर बढ़त बनाई है. तोड़-जोड़ की रणनीति कर इंडिया गठबंधन की सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है. केंद्र में किसकी सरकार बनाने ये अगले एक-दो दिन में तय हो जाएगा, लेकिन सरकार जितनी भी बने उसे विरासत के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी मिलेगी.
नई सरकार को विरासत
नई सरकार को विरासत में मिलेगी मजबूत अर्थव्यवस्था, रिकॉर्ड जीडीपी ग्रोथ, रिकॉर्ड आर्थिक वृद्धि दर के साथ मजबूत कर राजस्व, मजबूत डिजिटल और वित्तीय बुनियादी ढांचा, मजबूत विनिर्माण क्षेत्र जैसी चीजें मिलेगी. ये चीजें नई सरकार को अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए आधार देगा और ये चीजें देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बना सकती हैं.
नई सरकार के सामने चुनौतियां
विरासत के साथ- साथ नई सरकार को बेरोजगारी जैसी समस्याओं से भी निपटना होगा. इन मुद्दों ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मतदान प्रतिरूप में प्रमुख भूमिका निभाई है. साथ ही मुद्रास्फीति को भी नियंत्रण में रखने की चुनौती होगी. भाजपा सहित किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. ऐसे में बड़े स्तर पर निजीकरण और श्रम कानून में बदलाव जैसे सुधार फिलहाल ठंडे बस्ते में जा सकते हैं.
विकसित देश बनाने की चुनौती
नई सरकार के लिए चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे दल किंगमेकर का रोल निभाएंगे. नई सरकार को 2023-24 में दर्ज की गई 8.2 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी और अगले कुछ साल में भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सुधारों को आगे बढ़ाना होगा. नीति विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि सरकार बुनियादी ढांचे की अगुवाई में वृद्धि, निवेशक-अनुकूल नीतियों, सुधारों को आगे बढ़ाने और कारोबार सुगमता पर अपना ध्यान देना जारी रख सकती है. साख तय करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत में ऐतिहासिक रूप से प्रमुख आर्थिक नीतियों पर राष्ट्रीय सहमति रही और देश उच्च वृद्धि के रास्ते पर रहा है.
कोई भी संभाले सत्ता, विकास जारी रहेगा
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के विश्लेषक यीफार्न फुआ ने कहा, कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन दल आने वाली सरकार बनाता है. वृद्धि को गति देने वाली नीतियां, निरंतर बुनियादी ढांचा निवेश, राजकोषीय घाटे को कम करने का अभियान - इन चीजों ने बहुत अच्छे परिणाम दिये हैं. हमारा मानना है कि कोई भी सत्ता संभाले, आने वाले वर्षों में भी ये सब जारी रहेगा.
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि आत्मनिर्भर रणनीति, विशेष रूप से ज्ञान आधारित रोजगार सृजन और रणनीतिक विनिर्माण पर ध्यान देने के साथ भारत को दीर्घकालीन स्तर पर लाभ होगा. इससे सेवाओं और वस्तुओं के निर्यात दोनों को बढ़ाने की गुंजाइश भी बनेगी. श्रीवास्तव ने कहा, कि नई सरकार को अर्थव्यवस्था का एक ठोस आधार मिलेगा, जो अगले 25 साल में भारत के विकसित देश बनने के लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ने के लिए तैयार होगा.
10 सालों में बदला देश
मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में भारत वैश्विक स्तर पर 11वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. 2014 से पहले ‘कमजोर’ अर्थव्यवस्था की जो छवि बनी थी, उससे बाहर आ गया है. नई सरकार की नजर भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में लाने में होगी. 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के अनुसार यह लक्ष्य 2027-28 तक पूरा होने की उम्मीद है.वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था 3,700 अरब डॉलर की है और इसके 2030 तक इसके 7,000 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है. डेलॉयट साउथ एशिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रोमल शेट्टी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख इकाई के रूप में वृद्धि के रास्ते पर मजबूती से खड़ा है. उन्होंने कहा, कि हमारा मानना है कि नई सरकार के साथ अगली पीढ़ी के सुधारों के आगे बढ़ने की उम्मीद है.
यह सुधार भारत को दुनिया में नवोन्मेष का वैश्विक केंद्र और एक संपन्न डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित होगा। हमारा अनुमान है कि व्यापार सुगमता को और बढ़ाने, निवेश को गति देने तथा रोजगार सृजन पर जोर के साथ उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण पर ध्यान देते हुए भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए सुधारों में और तेजी लायी जाएगी.
नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि निवेशक समुदाय को विशेष रूप से श्रम कानून के साथ नीतिगत सुधारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण की उम्मीद है. नांगिया ने कहा, कि इसके साथ निवेशक सूझ-बूझ वाली राजकोषीय प्रबंधन की नीति चाहते हैं, जो रणनीतिक निवेश के माध्यम से वृद्धि को बढ़ावा देते हुए राजकोषीय घाटे को कम करने पर ध्यान केंद्रित करे. सुधारों और राजकोषीय अनुशासन से निरंतर आर्थिक वृद्धि और निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ने के लिए अनुकूल माहौल बनने की उम्मीद है.