DNA Analysis: साकार हो रहा मेक इन इंडिया का सपना, अब भारत में बनेगा iPhone 14
DNA Analysis: ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार Apple अपने आने वाले i Phone 14 को भारत में भी बनाएगी. ऐसे में आइए समझें कि कंपनी ने इस काम के लिए भारत को क्यों चुना और चीन का साथ क्यों छोड़ा...
DNA Analysis: आज बात मेक इन इंडिया की बढ़ती ताकत की. इस बढ़ती ताकत का विश्लेषण इसलिए जरूरी है क्योंकि स्मार्टफोन और दूसरे गैजैट्स बनाने वाली दुनिया की दिग्गज कंपनी Apple अब अपने नए आइफोन का उत्पादन भारत में करेगी. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार Apple अपने आने वाले i Phone 14 को भारत में भी बनाएगी. रिपोर्ट के अनुसार Apple अपने करीब 90 प्रतिशत से अधिक उत्पाद चीन में ही बनाती है और चीन उसके लिए बड़ा बाजार भी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीन की सरकार की नीतियों और वहां की घरेलू स्थितियों की वजह से Apple अब चीन की जगह भारत को तवज्जो दे रही है और चीन के बाद अब भारत उसकी पहली पसंद बन चुका है. भारत में फिलहाल आईफोन 11, 12 और 13 का उत्पादन होता है. ये सभी आईफोन तमिलनाडु में स्थित ताइवानी कंपनी (Fox Con) फॉक्सकॉन के प्लांट में बनाए जाते हैं.
आज Apple दुनिया की सबसे बड़ी और कामयाब कंपनियों में एक है और उसकी कुल मार्केट वैल्यू करीब 215 लाख करोड़ रुपये है और ये दुनिया के 180 देशों की जीडीपी से भी कहीं ज्यादा है. अकेले वर्ष 2020 में ही Apple ने दुनियाभर में 23 करोड़ iPhones और 7 करोड़ 10 लाख iPads बेचे थे. जबकि वर्ष 2021 में कंपनी ने रिकॉर्ड 24 करोड़ iPhone बेचे थे, जिसमें 54 लाख भारत में बेचे गए थे. Apple ने पिछले वर्ष अपने कुल फोन उत्पादन का 3.1 प्रतिशत भारत में तैयार किया, जबकि इस वर्ष वो इस आंकड़े को 6 से 7 प्रतिशत यानी करीब दोगुना करना चाहती है.
लेकिन अब आपको ये भी समझ लेना चाहिए कि Apple और उसके जैसी कई दिग्गज कंपनियां चीन की जगह भारत को तवज्जो क्यों दे रही हैं और इसे आप तीन प्वाइंट्स के जरिए आसानी से समझ सकते हैं.
पहला प्वाइंट है चीन और अमेरिका के खराब रिश्ते
चीन आज अमेरिका को पीछे छोड़कर खुद दुनिया की सुपरपॉवर बनना चाहता है और इसी वजह से आज चीन और अमेरिका के रिश्ते बेहद खराब हैं और दोनों ही देश आर्थिक ही नहीं कई रणनीतिक मोर्चों पर भी आमने सामने हैं. चीन से आयात होने वाले सामान पर अमेरिका भारी भरकम इंपोर्ट ड़्यूटी लगा रहा है और इसकी वजह से ऐप्पल जैसी कंपनियों के लिए चीन में काम करना मुश्किल हो रहा है.
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्वाइंट है कोरोना
आप जानते ही हैं, कोरोना की उत्पति चीन के वुहान से ही हुई थी और इसे लेकर चीन पर गंभीर सवाल भी उठाए गए. लेकिन चीन ने इससे निपटने के लिए बेहद कड़े प्रोटोकॉल अपनाए और कई बार तो बेहद कम मामले आने पर भी लॉकडाउन लगा दिए गए. इससे भी कंपनियों का काम काफी प्रभावित हुआ.
तीसरा प्वाइंट है, चीन का बिजली संकट
आज चीन एक साल के भीतर दोबारा बिजली संकट का सामना कर रहा है. भीषण गर्मी की वजह से चीन में सूखे जैसे हालात हैं और नदियों का जलस्तर भी खतरनाक स्तर तक घट गया है. पानी की कमी होने से हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट्स पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं और कई प्रांतों में भारी कटौती की जा रही है. ऐसे में सरकार ने कुछ दिनों के लिए कंपनियों से उत्पादन बंद करने के लिए कह दिया है. चीन के जियान्गसू झेजियांग और ग्वांगडोंग प्रांत पर इस कटौती का सबसे ज्यादा असर पड़ा है और ये तीनों ही जगहें चीन की इंडस्ट्रियल पावरहाउस कही जाती हैं और चीन की अर्थव्यवस्था में इनका लगभग एक तिहाई योगदान है. चीन में बिजली कटौती का ये पहला मामला नहीं है. पिछले वर्ष भी चीन में कोयले की कमी की वजह से जबरदस्त बिजली संकट पैदा हो गया था और उस वक्त भी कंपनियों को अपना प्रोडक्शन रोकना पड़ा था. जिससे उन्हें काफी नुकसान भी हुआ था.
अब आप समझ गए होंगे कि इन दिग्गज कंपनियों का चीन से मोहभंग क्यों रहा है. लेकिन अब आपको ये भी समझना चाहिए कि आखिर भारत इन कंपनियों की पहली पसंद क्यों बनता जा रहा है. आज भारत मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है. यानी चीन के बाद सबसे ज्यादा मोबाइल फोन भारत में ही बनते हैं और इसके लिए भारत में न सिर्फ बेहतरीन बुनियादी ढांचा मौजूद है, बल्कि अच्छी और स्किल्ड वर्क फोर्स की भी कोई कमी नहीं है. इसके अलावा भारत सरकार की नीतियों का भी इन कंपनियों को काफी फायदा मिलता है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में टेलिकॉम सेक्टर के लिए PLI यानी परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेटिव योजना की शुरुआत की थी और इसके बाद दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाई हैं.
ICEA यानी इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत का मोबाइल फोन निर्यात 43 हजार 500 करोड़ रुपये को भी पार कर सकता है. जबकि पिछले वर्ष ये भारत का कुल मोबाइल फोन निर्यात करीब 24 हजार करोड़ रुपये ही था और ये आंकड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाते हैं.
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