Maruti Suzuki: लाल सागर संकट (Red Sea crisis) का असर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस संकट का असर इंडियन कंपनियों पर भी दिखाई देने लगा है. देश की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी मारुति (Maruti) का कहना है कि लाल सागर संकट (Red Sea crisis impact) का असर गाड़ियों की कीमतों पर भी देखने को मिल सकता है. जाहजों का रूट बदलने की वजह से मारुति सुजुकी की कॉस्ट (Maruti suzuki costs) में इजाफा हो सकता है. कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी है. 


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वाहन क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी ने पिछले कैलेंडर ईयर में लगभग 2.7 लाख कारों का निर्यात किया था. हालांकि, कंपनी ने कहा है कि उसे नहीं लगता कि इस मुद्दे का उसके निर्यात पर कुछ खास असर पड़ेगा. 


रूट चेंज का दिख सकता है असर


एमएसआई के कार्यकारी अधिकारी राहुल भारती ने कहा है कि लाल सागर संकट की वजह से हम कुछ लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. रिस्क और वाहनों के रूट में हो रहे बदलाव की वजह से कॉस्ट में कुछ बढ़ोतरी हो सकता है.


उन्होंने कहा कि माल एक्सपोर्ट के समय में कुछ बदलाव हो सकता है. इससे जहाजों के आने और एक्सपोर्ट के लिए वाहनों के पिकअप में कुछ अनिश्चितता देखने को मिल सकती है. भारती ने कहा कि यह एक छोटा मुद्दा है, लेकिन निर्यात कारोबार में एक सामान्य बात है. 


80 प्रतिशत व्यापार इसी रूट से 


लाल सागर जलडमरूमध्य ग्लोबल कंटेनर ट्रांसपोर्टेशन के 30 प्रतिशत और ग्लोबल व्यापार के 12 प्रतिशत के लिए महत्वपूर्ण है. यूरोप के साथ भारत का लगभग 80 प्रतिशत वस्तुओं का व्यापार इसी मार्ग से होता है. भारती ने कहा कि मारुति सुजुकी ने इस दशक के अंत तक कम से कम 7.5 लाख वाहनों के निर्यात करने का लक्ष्य रखा है. 


सरकार बना रही ये प्लान


उन्होंने कहा कि अफ्रीका एक अच्छा बाजार बनता जा रहा है और कई कारणों से पश्चिम एशिया क्षेत्र ने हाल काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. भारती ने कहा कि सरकार कुछ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर कर रही है, जिसमें कंपनी को शुल्क में कुछ राहत मिल सकती है. उन्होंने कहा कि मारुति इस साल बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) का उत्पादन शुरू करने की तैयारी कर रही है. इस तरह का पहला मॉडल एक मध्यम आकार की एसयूवी होगी. यह मॉडल घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करेगा. इसके अलावा इसका जापान और यूरोप को निर्यात भी किया जाएगा.


इनपुट - भाषा एजेंसी के साथ