मिलिए उस शख्स से जिसने बेच दिया 17000 करोड़ का बिजनेस, 75 लाख से किया था शुरू
Titan Company Share Price: कैरटलेन के साईओ मिथुन संचेती ने अमेरिका से जेमोलॉजी की पढ़ाई की. लेकिन उनका मन फैमिली बिजनेस में नहीं लगताथा. मुंबई में उनके पिता ने 1974 में `जयपुर जेम्स` नाम से दुकान की शुरुआत की थी. उनका मन हमेशा कुछ अलग करने का रहता था.
Mithun Sacheti Success Story: करीब तीन महीने पहले टाइटन कंपनी ने ज्वेलरी ब्रांड कैरटलेन की पूरी हिस्सेदारी खरीद ली. इसके साथ ही कैरटलेन, टाटा ग्रुप की कंपनी हो गई. लेकिन क्या आप जानते हैं कैरटलेन को कैसे शुरू किया गया था और इसमें शुरुआती निवेश कितना था. यह शायद आपको चौंका सकता है. कैरटलेन के साईओ मिथुन संचेती ने अमेरिका से जेमोलॉजी की पढ़ाई की थी. वह अपना फैमिली बिजनेस 'जयपुर जेम्स' चलाते थे. जयपुर जेम्स की शुरुआत 1974 में उनके पिता ने की थी. इस दुकान के जरिये मुंबई में उनके पिता का 3,000 से ज्यादा परिवारों का कस्टमर बेस था.
पिता से मांगे थे 75 लाख और चार साल का टाइम
लेकिन मिथुन इस बिजनेस से खुश नहीं थे. उनके पास पारंपरिक दुकानें तो थीं लेकिन कोई ऑनलाइन स्टोर नहीं था. मिथुन इसमें शुरुआत करना चाहते थे. उन्होंने इसके लिए पिता से 75 लाख रुपये और चार साल का समय मांगा. उनके पिता ने उन्हें साल 2008 में 75 लाख रुपये दिये और उन्होंने कैरेटलेन की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने एक वेबसाइट बनाई. यहां शुरुआत के 15 दिन में उनकी किसी तरह की बिक्री नहीं हुई. लोग उन पर हंसने लगे और कोई भी उनके साथ निवेश नहीं करना चाहता था. इसमें उन्होंने बाद में भी निवेश किया और इससे कैरेटलेन को 12 करोड़ का नुकसान हुआ.
मार्केटिंग पर खर्च किये 4 करोड़ रुपये
संचेती अपने बिजनेस को नया रूप देने के बारे में सोचने लगे. लेकिन इस बीच उन्हें एक मैसेज मिला. टाइगर ग्लोबल के पार्टनर ली फिक्सेल ने उनसे मिलने की इच्छा जताई. मीटिंग के 50 मिनट बाद मिथुन को कैरेटलेन के 33% के मुकाबले 27 करोड़ की टर्म शीट मिली. दो साल की कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्हें इस ऑफर पर पहली बार में विश्वास ही नहीं हुआ. उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. उन्होंने मार्केटिंग पर 4 करोड़ रुपये खर्च किये.
ग्रेटर कैलाश में पहला फिजिकल स्टोर खोला
वेबसाइट शुरू होने के कुछ ही दिन बाद बंद हो गई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में पहला फिजिकल स्टोर खोला. उनका सिंपल आइडिया था. उन्होंने ओमनीचैनल फार्मेट में बेहतर मार्जिन के साथ हाई क्वालिटी वाली डायमंड ज्वैलरी की बिक्री की. उनका यह बिजनेस आइडिया चल निकला और कैरेटलेन ने 300% की रेवेन्यू ग्रोथ की. साल 2013 में कैरेटलेन 100 करोड़ की कंपनी बन गई. टाइगर ग्लोबल ने और पूंजी जुटाई... साल 2012 में 30 करोड़ और 2013 में 45 करोड़ का निवेश किया. इसके साथ मिथुन ने ओमनी-चैनल फॉर्मेट में निवेश जारी रखा.
2014 में कैरेटलेन की बिक्री बढ़कर 300 करोड़ हुई
इसके साथ उन्होंने परफेक्ट लुक, वर्चुअल ज्वेलरी ट्राय-ऑन पेश किया. दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में स्टोर की शुरुआत की. 2014 तक कैरेटलेन के देशभर में 12 स्टोर हो गए और कैरेटलेन की सालाना बिक्री बढ़कर 300 करोड़ हो गई. बिजनेस बढ़ता देखकर टाइगर ग्लोबल ने 180 करोड़ का भारी निवेश कर दिया. ब्लूस्टोन और मेलोरा (Bluestone and Mellora) जैसे ऑनलाइन प्लेयर्स के सामने आने पर मिथुन ने एक ऑफलाइन पार्टनर के बारे में सोचा. यहां उन्हें तनिष्क के टाइटन से बेहतर नहीं लगा. कुछ दिनों बाद बड़ी खबर सामने आई और जुलाई 2016 में टाइटन ने कैरेटलेन का 62% शेयर खरीद लिये. इससे टाइगर ग्लोबल को 357 करोड़ का निवेश वापस मिल गया.
4621 करोड़ का किया भुगतान
अब कैरेटलेन ने 'Caratlane: A Tanishq partnership' के तहत कई स्टोर खोले. दिसंबर 2021 तक, कैरेटलेन ने देश के 36 शहरों में 130 स्टोर खोले. इस साल कंपनी ने 621 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया. इतना ही नहीं कैरेटलेन 12 साल बाद पहली बार फायदे में आ गई. अक्षय तृतीया के मौके पर चांदी की ज्वैलरी और नए कलेक्शन से कैरेटलेन को 2000 करोड़ राजस्व वाली कंपनी बनने में मदद मिली. इसमें 73 परसेंट का इजाफा हुआ और तनिष्क 37% पर था. टाइटन ने मौका देखकर मिथुन की 27.18% हिस्सेदारी 17000 करोड़ के वैल्यूएशन पर 4621 करोड़ में खरीद ली.