मुकेश अंबानी के आगे मस्क हुए पस्त, बेजोस का जोश भी हुआ ठंडा, सैटेलाइट इंटरनेट की रेस में अंबानी ने मारी बाजी
एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी ने बड़ी बाजी मार ली है.
Mukesh Ambani: एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी ने बड़ी बाजी मार ली है. टेस्ला, स्टारलिंक के मालिक एलन मस्क, अमेजॉन के फाउंडर जेफ बेसोज जैसे दिग्गजों को पछाड़कर सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस में सबसे पहले बाजी मार ली है. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपने कारोबार का विस्तार करते हुए सैटेलाइट इंटरनेट की रेस में बड़ी कामयाबी हासिल की है.
जियो ने मारी बाजी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस जियो देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस की दिशा में बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं. रिलायंस देश में सेटेलाइट सर्विस की शुरुआत करने जा रहा है. जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio Platforms) और लक्जमबर्ग की कंपनी एसईएस के जॉइंट वेंचर को भारत में गीगाबिट फाइबर इंटरनेट के लिए सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी मिल गई है.
इसके लिए रिलायंस को जरूरी मंजूरी मिल गई है. रिलायंस जियो के इस कदम का मकसद सैटेलाइट के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराना है. रिलायंस जियो को यह मंजूरी उस समय मिली है जब जेफ बेजोस की अमेजन डॉट कॉम और एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी कंपनियां भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए जरूरी अनुमति का इंतजार कर रहे हैं. इस रेस में मुकेश अंबानी ने एलन मस्क और जेफ बेसोज को पछाड़कर सैटेलाइट इंटरनेट के लिए सबसे पहले परमिशन हासिल कर ली है.
बता दें कि जियो और लक्जमबर्ग की कंपनी एसईएस के जॉइंट वेंचर करके देश में गीगाबिट फाइबर इंटरनेट प्रदान करने के लिए सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी हासिल कर ली है. इसका मकसद लोगों को फास्ट इंटरनेट सर्विस उपलब्ध करवाना है. स्पेस रेगुलेटर ने इन कंपनियों के जॉइंट वेंचर ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया को भारत के आकाश में सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी दे दी है
जियो के अलावा Inmarsat को भी भारत में सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी मिल गई है. इसके अलावा एलन मस्क की स्टारलिंक और अमेजॉन की Kuiper ने भी भारत में सेटेलाइट इंटरनेट के लिए आवेदन किया है. डेलॉइट के मुताबिक भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस मार्केट तेजी से बढ़ने वाला है. अगले पांच सालों में यह सालाना 36% की दर से बढ़ने की उम्मीद है. साल 2030 तक 1.9 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है . बड़े बाजार की उम्मीद में बड़ी कंपनियां रेस में है.