बायजू की दिवाला कार्यवाही में बड़ा अपडेट, NCLAT जज ने खुद को सुनवाई से अलग किया
Byju News: पीठ में न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा, न्यायाधीश जतिन्द्रनाथ स्वैन शामिल थे. न्यायाधीश शर्मा ने खुद को सुनवाई से अलग करते हुए कहा कि वह नियुक्ति से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के वकील के तौर पर काम कर चुके हैं.
Insolvency and Bankruptcy Code: बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) की थिंक एंड लर्न की दिवाला कार्यवाही के खिलाफ एनसीएलएटी (NCLAT) के समक्ष दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी गई. सुनवाई को रोकने का कारण यह रहा कि पीठ के एक सदस्य ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. मामला अब राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (NCLAT) के चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखा जाएगा, जो मामले की सुनवाई के लिए अलग पीठ नियुक्त करेंगे.
BCCI के वकील के तौर पर काम करने का हवाला दिया
रवींद्रन ने एडटेक कंपनी बायजू (Byju's) का संचालन करने वाली थिंक एंड लर्न (Think & Learn) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. यह मामला सोमवार को एनसीएलएटी (NCLAT) की चेन्नई स्थित दो सदस्यीय पीठ के समक्ष लिस्टेड किया गया था. पीठ में न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा, सदस्य (न्यायिक) और न्यायाधीश जतिन्द्रनाथ स्वैन, सदस्य (तकनीकी) शामिल थे. हालांकि, न्यायाधीश शर्मा ने खुद को सुनवाई से अलग करते हुए कहा कि वे अपनी नियुक्ति से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के वकील के तौर पर काम कर चुके हैं.
158.9 करोड़ रुपये के पेमेंट से जुड़ा है मामला
न्यायाधीश शर्मा ने कहा, ‘मैं बीसीसीआई (BCCI) की तरफ से सीनियर एडवोकेट के तौर पर पेश हुआ हूं. चूंकि वे इस आदेश के मुख्य लाभार्थी हैं, इसलिए मैं इस पर विचार नहीं कर सकता.’ बीसीसीआई ने थिंक एंड लर्न की तरफ से 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक के मामले में दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत एनसीएलटी (NCLT) का रुख किया था. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की बेंगलुरु पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही की अनुमति दी थी.
30 जुलाई तक के लिए याचिका को टाला गया
साथ ही एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया था. थिंक एंड लर्न एक समय भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप था, जिसकी अनुमानित कीमत 22 अरब अमेरिकी डॉलर थी. रवींद्रन ने अपीलीय ट्रिब्यूनल NCLAT के सामने NCLT के आदेश को चुनौती दी. उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है. हाई कोर्ट ने 26 जुलाई को रवींद्रन की याचिका को 30 जुलाई तक के लिए टाल दिया था. हाई कोर्ट में रवींद्रन ने आदेश की वैधता को चुनौती दी और NCLAT की तरफ से अपील की सुनवाई तक NCLT के आदेश को सस्पेंड करने की मांग की है.