तनाव के बीच भारत के बाजार में `चीनी घुसपैठ`, ICICI Bank में खरीदा हिस्सा
लद्दाख विवाद के बाद भारत में चीन के सामानों का बहिष्कार हो रहा है, लोग चीन के सामान खरीदना बंद कर रहे हैं. लेकिन चीन है कि उसे भारत की ही चीजें पसंद आ रही हैं. खबर है कि चीन के सेंट्रल बैंक People’s Bank of China ने भारत के निजी क्षेत्र के दिग्गज बैंक ICICI बैंक में निवेश किया है.
नई दिल्ली: लद्दाख विवाद के बाद भारत (India) में चीन (China) के सामानों का बहिष्कार हो रहा है, लोग चीन के सामान खरीदना बंद कर रहे हैं. लेकिन चीन है कि उसे भारत की ही चीजें पसंद आ रही हैं. खबर है कि चीन के सेंट्रल बैंक People’s Bank of China ने भारत के निजी क्षेत्र के दिग्गज बैंक ICICI Bank में निवेश किया है. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन के इस केंद्रीय बैंक ने भारत के किसी बैंक में हिस्सा खरीदा हो. आपको बता दें कि इसी बैंक ने मार्च में HDFC लिमिटेड में निवेश किया था और अपना हिस्सा बढ़ाकर 1 परसेंट से ज्यादा कर लिया था, जिस पर काफी हंगामा भी मचा था. इसलिए बाद में भारत सरकार ने नए नियम बनाए थे. जिसके मुताबिक सीमा पार के निवेशकों को भारतीय कंपनियों में निवेश करने से पहले भारत सरकार की मंजूरी लेनी होगी.
ICICI बैंक में चीन के बैंक ने खरीदा हिस्सा
बीते दिनों ICICI बैंक ने Qualified Institutional Placement (QIP) के जरिए 15 हजार करोड़ रुपये जुटाए थे. इसमें पीपल्स बैंक ऑफ चाइना, म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) और बीमा कंपनियों (Insurance companies) सहित कुल 357 संस्थागत निवेशकों ने हिस्सा लिया था. इस QIP में पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने 15 करोड़ रुपये का निवेश किया था. एक दावे के मुताबिक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना का ICICI बैंक में हिस्सा 0.0006 परसेंट है. हालांकि ये बहुत कम है. नए नियमों की वजह से ये हिस्सा अब और बढ़ भी नहीं सकता. यानि अगर चीन की कंपनियों को भारतीय कंपनियों में निवेश करना है तो उन्हें सिर्फ शेयर मार्केट के जरिए जाना होगा, नहीं तो पहले भारत सरकार की मंजूरी लेनी होगी.
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चीनी निवेश पर भारत ने बढ़ाई सख्ती
लद्दाख सीमा पर विवाद से पहले ही भारत सरकार ने चीन की कंपनियों के निवेश को लेकर कदम उठाने शुरू कर दिए थे. हमारी सहयोगी वेबसाइट wion.com से बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वादा किया था कि वो hostile takeovers यानि जबरन अधिग्रहण को लेकर सख्त नियम बनाएंगीं.
भारत, चीन के निवेश को भारतीय अर्थव्यवस्था में आने से रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहा है. जैसे चीनी कंपनियों को सरकारी खरीद योजनाओं में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है. सरकार ने e-marketplace पोर्टल्स पर उत्पाद कहां बना है इसकी जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है. साथ ही चीन से आने वाले कलर टीवी पर भी भारत में रोक लगाई गई है, ताकि देश के मैन्यूफैक्चरर्स को ज्यादा मौका मिले. भारत अब साउथ-ईस्ट एशिया से घूम फिरकर आने वाले चीनी सामानों पर भी रोक लगाने की तैयारी कर रहा है.
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