Corona की दूसरी लहर में 1 करोड़ से ज्यादा लोग हुए बेरोजगार, नई नौकरी मिलने में लग जाएगा एक साल!
Coronavirus Unemployment: कोरोना महामारी की दूसरी लहर की वजह से बेरोजगारी के मोर्चे पर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.
नई दिल्ली: Coronavirus Unemployment: कोरोना महामारी की दूसरी लहर की वजह से बेरोजगारी के मोर्चे पर बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE के ताजा आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में 1 करोड़ से अधिक देशवासियों ने अपना रोजगार खो दिया है, निजी थिंक टैंक CMIE का अनुमान है कि मई अंत तक बेरोजगारी दर 12 परसेंट के करीब रह सकती है, जबकि आपको याद होगा कि अप्रैल में बेरोजगारी दर 8 परसेंट रही थी.
कोरोना की दूसरी लहर में 1 करोड़ लोग हुए बेरोजगार
CMIE की ओर से जो आंकड़े आए हैं वो काफी डराने वाले हैं. इसमें कई ऐसे अनुमान हैं जो अगर सही साबित हुए तो बेरोजगारी को लेकर नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी, जिसको पटरी पर आने में काफी वक्त लग सकता है. CMIE के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि दूसरी लहर में बेरोजगारी की सबसे ज्यादा मार शहरों पर पड़ी है, यहां 14.73 परसेंट लोग बेरोजगार हुए हैं जबकि मई में ग्रामीण बेरोजगारी 10.63 परसेंट रहने का अनुमान है. साल 2020 में जब कोरोना महामारी के चलते केंद्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था, तब मई में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 23.5% तक पहुंच गई थी. यानी इस बार के अनुमान से करीब दोगुना बेरोजगारी दर थी.
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नई नौकरी पाने में लगेगा लंबा वक्त
CMIE) के चीफ एग्जिक्यूटिव महेश व्यास का कहना है कि अब धीरे धीरे देश की इकोनॉमी खुलना शुरू हुई है, इससे लगता है कि कुछ हद तक चीजें सुधरेंगी, लेकिन ज्यादा राहत की उम्मीद अब भी नहीं है. व्यास के मुताबिक फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले जिन लोगों की नौकरियां गईं हैं उन्हें नौकरी दोबारा पाने में काफी वक्त लग सकता है, लेकिन असंगठित क्षेत्र रोजगार के मोर्चे पर कुछ हद तक रिकवर कर रहा है. व्यास के मुताबिक इस समय मार्केट में लेबर पार्टिसिपेशन रेट घटकर 40 परसेंट रह गया है, जो कि पहले 42.5 परसेंट पर था. CMIE के महेश व्यास का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था में 3-4 परसेंट की बेरोजगारी सामान्य है, आगे बेरोजगारी में कमी आएगी.
97 परसेंट लोगों की कमाई घटी
CMIE ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवारों पर देशव्यापी सर्वे किया था, जिसमें केवल 3% परिवारों ने अपनी आय बढ़ने की बात कही थी, 55 परसेंट परिवारों का कहना था कि उनकी इनकम घटी है. जबकि बाकी 42 के मुताबिक उनकी कमाई पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. महंगाई के हिसाब से देखें तो करीब 97% परिवारों की कमाई घटी है. यानी जिन परिवारों की कमाई घटी है वो तो है हीं, साथ ही जिनकी नहीं घटी लेकिन महंगाई बढ़ी है, तो माना जाएगा कि उनकी इनकम महंगाई के मुकाबले तो गिरी है.
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