Bank FD vs NSC में 5 साल के निवेश पर जानिए कहां होगा ज्यादा फायदा, Tax में कितनी मिलेगी छूट
Bank FD vs NSC: अगर आप सुरक्षित और सिक्योर रिटर्न के साथ टैक्स में भारी बचत करना चाहते हैं तो आपके लिए 5 साल की बैंक FD और पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) में निवेश कर सकते हैं. अब सवाल है कि इन दोनों में ज्यादा बेहतर आपके लिए कौन सी स्कीम है? आइये जानते हैं आपके एंगल से कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर साबित होगा.
NSC और बैंक FD
पोस्ट ऑफिस में सेविंग्स अकाउंट की जहां सुविधा है, वहां आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) में पैसे लगा सकते हैं. NSC स्कीम की अवधि 5 साल की है. इस स्कीम के तहत आप कम से कम 100 रुपये (अधिकतम लिमिट तय नहीं) से खाता खोल सकते हैं. वहीं, अगर बात बैंक FD की करें तो किसी भी बैंक ब्रांच में आप 5 साल फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) खुलवा सकते हैं.
NSC Vs FD: ब्याज के आधार पर
पोस्ट ऑफिस के अनुसार, NSC पर अभी 6.8 फीसदी का सालाना इंटरेस्ट मिल रहा है और इसकी कम्पाउंडिंग तिमाही आधार पर होती है. वहीं, बैंक FD की बात करें तो 5 साल के लिए SBI, HDFC बैंक, ICICI बैंक जैसे बड़े बैंक 5.40 फीसदी तक सालाना ब्याज दे रहे हैं.
NSC Vs FD: 5 लाख पर 5 साल का मुनाफा
पोस्ट ऑफिस में 5 लाख जमा पर 6.8 फीसदी सालाना ब्याज से मेच्योरिटी पर कुल करीब 6.95 लाख रुपये मिलेंगे. इसमें ब्याज की रकम 1.95 लाख रुपये होगी. वहीं, बैंक FD में 5 लाख जमा पर 5.40 फीसदी सालाना ब्याज से मेच्योरिटी पर कुल करीब 6.54 लाख रुपये मिलेंगे. इसमें 1.54 लाख रुपये इंटरेस्ट होगा.
NSC Vs FD: निवेश की लिमिट
NSC में 100, 500, 1000, 5000, 10,000 या इससे ज्यादा के सर्टिफिकेट मिलते हैं. आप अपने सुविधा के अनुसार तय कर सकते हैं. इसमें निवेश करने की कोई सीमा नहीं है. वहीं बैंक FD में देश के लगभग सभी बैंक टैक्स सेवर FD की सुविधा देते हैं. बैंक FD को न्यूनतम 100 रुपये से शुरू किया जा सकता है.
NSC Vs FD: इनकम टैक्स में छूट
NSC में निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. हालांकि, यह छूट 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर ही मिलती है. जबकि बैंक FD में 5 साल की FD पर ही 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. इसे आप सिंगल या ज्वॉइंट में खोल सकते हैं. ज्वॉइंट अकाउंट में टैक्स बेनिफिट FD के पहले होल्डर को मिलता है. इसके जरिए 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स बचाया जा सकता है. इसलिए जिन्हें टैक्स से बचना है वे पहले अकाउंट होल्डर बने.