सिर्फ 1 `Bitcoin` आपको बना सकता है Crorepati, जानें इसे खरीदने और बेचने का तरीका
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन (Bitcoin) ने 3 साल में पहली बार 31,000 डॉलर (करीब 22,65,859 रुपये) का आंकड़ा पार किया है. हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट पर लगे प्रतिबंध को पूरी तरह से हटाने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय निवेशकों ने इसकी तरह रुख किया है. जिसके बाद सिर्फ दिसंबर में ही इसमें 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आइए जानते हैं इसे कैसे खरीदें और बेचें?
Bitcoin को कैसे खरीदा और बेचा जाता है?
आप Bitcoin को क्रिप्टो एक्सचेंज से या फिर सीधे किसी व्यक्ति से ऑनलाइन (Peer to Peer) खरीद सकते हैं. इसके अलावा एक दूसरा तरीका भी है जो थोड़ा जोखिम भरा है. इस तरीके से अक्सर धोखेबाजी का खतरा रहता है. ऐसे में यही तरीका हमें अपनान चाहिए.
कब हुई थी क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत?
क्रिप्टोकरेंसी को 2009 में उस समय लांच किया गया था जब दुनिया में आर्थिक संकट आ चुका था. सबसे रोचक बात यह है कि इसका हिसाब-किताब हजारों कंप्यूटरों में एक साथ सार्वजनिक लेजर में रखा जाता है. यह ठीक उस तरीके के उलट है, जिसमें पारम्परिक मुद्राओं का हिसाब बैंकों के सर्वर में रखा जाता है. इस वक्त ये दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी बन चुकी है.
बिटक्वाइन में मुनाफा कैसे बांटा जाता है?
शुरुआती दौर में बिटक्वाइन को टेक प्रोफेशनल्स द्वारा उपयोग में लाया जाता था. वे छोटे-छोटे भुगतान के लिए इनका इस्तेमाल करते थे. हालाकि 2017 आते-आते ये एक निवेश प्रोडक्ट में तब्दील हो गया. जिसके बाद इसके दाम 20 गुना तक बढ़ गया. हालांकि 2018 में इसमें जबरदस्त गिरावट भी दर्ज की गई थी. लेकिन मार्च 2020 में कोविड की दस्तक के बाद इसने फिर तेजी की राह पकड़ ली. इस वक्त यह 13.97 लाख रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच चुका है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी में बिजनेस?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश न तो पूरी तरह से कानूनी है और न ही इस पर किसी तरह का प्रतिबंध है. साल 2018 में आरबीआई के लगाए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि 2019 में सभी क्रिप्टोकरेंसी को रोकने वाला बिल संसद में लाया जाएगा, लेकिन इसे संसद के पटल पर कभी रखा ही नहीं गया. वकीलों का कहना था कि इस बिल का पास होना काफी मुश्किल होगा.
Bitcoin से जुड़े जोखिम क्या हैं?
शेयर बाजार में किसी शेयर के दाम उस कंपनी की प्रोफिट की स्थिति या किसी बांड की मुनाफे की हालत को देखकर तय होते हैं, लेकिन बिटक्वाइन में ऐसा बिल्कुल नहीं है. इसकी कीमत तय करने का कोई आधार ही नहीं है. इसकी वकालत करने वाले लोग यह दावा करते हैं कि सोने जैसे अन्य निवेश संसाधनों में भी किसी तरह की वैल्यू उनके दाम से जुड़ी नहीं होती.