Tata Group: अब आप नहीं चला पाएंगे टाटा के स्मार्टफोन, रतन टाटा के हाथ से फिसली यह बड़ी बिजनेस डील
Ratan Tata: टाटा ग्रुप और वीवो के बीच पिछले कई महीने से चल रही बातचीत अब थम गई है. स्मार्टफोन मार्केट में उतरने का प्लान कर रही टाटा को इससे झटका लगा है. दरअसल, टाटा ग्रुप वीवो में 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी लेने का प्लान कर रहा था. लेकिन ऐपल की तरफ से विरोध किये जाने के बाद कंपनी पीछे हट गई.
Tata Group And Vivo Mobile Deal: टाटा ग्रुप की तरफ से स्मार्टफोन मार्केट में कदम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. इसके तहत ग्रुप चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो (Vivo) के भारतीय कारोबार में ज्यादा हिस्सेदारी खरीदना चाहता था. लेकिन अब सूत्रों का दावा है कि ऐपल ने इसका विरोध किया है और इसके बाद यह करार रुक सकता है. सूत्रों के अनुसार वीवो सरकार के दबाव के बाद अपने कारोबार को भारतीय बनाना चाहता था. इसलिए उसकी तरफ से भारत में अपनी कंपनी का 51% हिस्सा टाटा ग्रुप को बेचने की प्लानिंग की जा रही थी. लेकिन उसकी यह प्लानिंग किसी अंजाम पर पहुंचती, उससे पहले ही इस डील का विरोध हो गया है.
इसलिस नहीं बन पाई टाटा और वीवो की बात
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार ऐपल इस डील से खुश नहीं है. दरअसल, ऐपल के फोन टाटा ग्रुप की तरफ से बेंगलुरु में तैयार किये जाते हैं. टीओआई के अनुसार इस कारण वीवो की टाटा ग्रुप के साथ यह प्लानिंग फेल हो गई. दरअसल, टाटा ग्रुप ऐपल का मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर है. ऐसे में अगर टाटा की डील वीवो से होती है तो यह उसकी ऐपल के कम्पटीटर के साथ पार्टनरशिप होगी. शायद यही कारण रहा कि टाटा और वीवो के बीच बातचीत नहीं बन पाई. सूत्र ने दावा किया कि हालिया घटनाक्रम के बाद इस पर दोबारा विचार किये जाने की संभावना भी कम ही है.
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क्यों हिस्सेदारी बेचना चाहती है वीवो?
इस बिजनेस डील के बारे में ऐपल और वीवी की तरफ से किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई. दूसरी तरफ टाटा ग्रुप के प्रवक्ता ने इस तरह की किसी भी बिजनेस डील की खबर को पूरी तरह खारिज कर दिया है. आपको बता दें चाइनीज कंपनियां भारत में अपने कारोबार को बचाने के लिए परमानेंट पार्टनर की तलाश कर रही हैं. इसके लिए चाइनीज कंपनियों अपने ज्यादा हिस्सेदारी बेचना चाहती हैं. ऐसा करने से उन्हें फंडिंग आसानी से मिल पाएगा. दरअसल, भारत सरकार पड़ोसी देशों से आने वाले निवेश पर नजर रखी जा रही है, जिससे फंडिंग आना मुश्किल हो रहा है.
JSW ग्रुप ने MG मोटर में खरीदी हिस्सेदारी
बिजनेस में एक भरोसेमंद स्थानीय पार्टनर होने से उन्हें सरकार की 'मेक इन इंडिया' मुहिम में भरोसेमंद पार्टनर के रूप में उभरने में मदद मिलेगी. इससे उन्हें लगता है कि वे सरकारी कार्रवाई से बच सकते हैं और वीजा आसानी से मिल सकता है. चीन के SAIC ग्रुप ने MG मोटर में पिछले दिनों अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी सज्जन जिंदल के JSW ग्रुप को बेचने का फैसला किया है. सुनील वचानी की डिक्सन इलेक्ट्रॉनिक्स ने चाइनीज कंपनी ट्रांसिशन टेक्नोलॉजी की सब्सिडियरी इसमार्टु इंडिया में 56% हिस्सेदारी खरीदने का करार किया है. ट्रांसिशन टेक्नोलॉजी के पास iTel, Infinix, और Tecno जैसे ब्रांड हैं.
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इलेक्ट्रॉनिक्स सेग्मेंट में तेजी से आगे बढ़ रहा टाटा ग्रुप
टाटा ग्रुप इलेक्ट्रॉनिक्स सेग्मेंट में तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐपल के मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर ताइवानी विस्ट्रॉन की फैक्ट्रियां खरीदना ग्रुप के लिए बड़ी जीत थी. ऐपल के साथ हुए करार से टाटा ग्रुप को सिर्फ भारत में बेचने वाले आईफोन बनाने का मौका ही नहीं मिला, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों में बेचने वाले आईफोन भी बनाने का मौका मिला. दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले स्मार्टफोन कंपनी के साथ काम करने से टाटा ग्रुप बड़ा पैमाने पर काम कर पाया. इस करार से टाटा ग्रुप को दुनिया के इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने वाली बड़ी कंपनियों जैसे ताइवानी फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन के बीच भी अच्छी पहचान मिली.