Banaras Mercantile Bank Licence: र‍िजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) ने एक और बैंक के ख‍िलाफ सख्‍त कार्रवाई की है. इस बार आरबीआई (RBI) ने बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक, वाराणसी (Banaras Mercantile Co-operative Bank) पर ताला लगा द‍िया है. केंद्रीय बैंक की तरफ से को-ऑपरेट‍िव बैंक का लाइसेंस बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देखते हुए क‍िया गया है. आरबीआई (RBI) ने लाइसेंस रद्द करते हुए साफ क‍िया क‍ि इस प्रक्र‍िया के बाद बैंक 4 जुलाई, 2024 को ब‍िजनेस टाइम के बाद बैंकिंग कारोबार करना बंद कर देगा.'


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5 जुलाई से पैसा जमा करना और न‍िकालना बंद


आरबीआई (RBI) की कार्रवाई के बाद बनारस मर्केंटाइल बैंक में 5 जुलाई से कोई भी पैसा जमा और न‍िकाल नहीं सकेगा. उत्तर प्रदेश के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रज‍िस्‍ट्रार से भी बैंक को बंद करने और एक ल‍िक्‍वेडेटर अपाइंट करने का आदेश जारी करने की अपील की गई है. आरबीआई (RBI) ने कहा कि बैंक की तरफ से द‍िए गए आंकड़ों के अनुसार, 99.98 प्रतिशत जमाकर्ता जमा बीमा और लोन गारंटी निगम (DICGC) से बैंक में जमा अपना पूरा पैसा वापस पाने के हकदार हैं.


बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं
ल‍िक्‍व‍िडेशन पर हर जमाकर्ता डीआईसीजीसी (DICGC) से अपनी जमाराशि पर 5 लाख रुपये तक की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा. आरबीआई (RBI) ने कहा कि सहकारी बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं, अब इसका जारी रहना जमाकर्ताओं के हित में नहीं है. रिजर्व बैंक ने कहा, 'अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के कारण बैंक अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान नहीं कर पाएगा.'


4.25 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही क‍िया
डीआईसीजीसी (DICGC) की तरफ से 30 अप्रैल तक बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से उनकी इच्छा के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम के प्रावधान के तहत तहत कुल बीमित जमाराशियों में से 4.25 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया है. इससे पहले आरबीआई (RBI) ने द‍िसंबर में बैंक‍िंग विनियमन अधिनियम 1949 के सेक्‍शन 35 ए (35 A) के तहत बनारस मर्केंटाइल बैंक पर प्रतिबंध लगाए थे. इसके तहत बैंक को आदेश द‍िया गया था क‍ि आरबीआई की लिखित पूर्वानुमति के बिना किसी भी लोन और एडवांस नहीं देगा.


डीआईसीजीसी के तहत क्‍या प्रावधान?
डीआईसीजीसी (DICGC) जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा के लिए बनाई गई एक सरकारी संस्था है. यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधीन काम करती है. यदि कोई बैंक विफल हो जाता है, तो डीआईसीजीसी की तरफ से पांच लाख रुपये तक की जमा राशि को इंश्‍योर्ड करके जमाकर्ताओं को भुगतान क‍िया जाता है. यह राशि हर बैंक खाते में जमा राशि पर लागू होती है, न कि एक व्यक्ति के सभी बैंकों में जमा राशि पर. डीआईसीजीसी की वजह से जमाकर्ताओं का बैंकिंग स‍िस्‍टम पर व‍िश्‍वास बढ़ता है. लेक‍िन आपको बता दें सभी बैंक डीआईसीजीसी के मेंबर नहीं होते हैं.