नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक और बैंक का लाइसेंस रद्द करने की तैयारी कर रहा है. इस बैंक को RBI ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. धोखाधड़ी का शिकार हुए इस बैंक का नाम नाम ‘संबंध फिनसर्व प्राइवेट लिमिटेड’ (Sambandh Finserve Private Limited -SFPL) है. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में बताया गया है कि फ्रॉड के बाद बैंक का नेटवर्थ RBI द्वारा तय की गई लिमिट से कम होने लगा है और हाल के महीनों में बैंक की वित्‍तीय भी काफी खराब हुई है. इसी के मद्देनजर RBI अब बैंक का लाइसेंस रद्द करने जा रहा है.


रद्द क्यों न किया जाए Licence?


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रिपोर्ट में बताया गया कि ‘संबंध फिनसर्व’ को आरबीआई ने कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर उसका लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए? बैंक के नेटवर्थ में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बैंक का लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने फिलहाल इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है और न ही ‘संबंध फिनसर्व’ की तरफ से ऐसी कोई जानकारी सामने आई है.


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CEO के इशारे पर हुआ Fraud?


SFPL के प्रबंध निदेशक और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी दीपक किडो (Deepak Kindo) को ही फ्रॉड का मुख्‍य आरोपी माना जा रहा है. दीपक को चेन्‍नई पुलिस की आर्थिक अपराध विंग ने गिरफ्तार भी कर लिया है. इस बैंक का रजिस्‍ट्रेशन एनबीएफसी-एमएफआई के तौर पर हुआ है. आरबीआई के नियमों के अनुसार, गैर-बैंकिंग वित्‍तीय संस्‍थान के लिए अनिवार्य होता है कि वे टियर-1 और टियर-2 के तौर पर एक पूंजी हमेशा बनाएं रखें, जो यह उनके जोखिम का 15 फीसदी होना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2020 में ‘संबंध फिनसर्व प्राइवेट लिमिटेड’ ने 461 करोड़ रुपये के एसेट अंडर मैनेजमेंट के बारे में जानकारी दी है. SFPL के पास इस दौरन 5.22 करोड़ रुपये का मुनाफा भी हुआ है. इसके पास कुल फंसा कर्ज करीब 0.67 फीसदी है.


Management ने बोर्ड को लिखा Letter


रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल ही 7 अक्‍टूबर को सीनियर मैनेजमेंट नें बैंक निदेशक मंडल को एक पत्र लिखा था. दरअसल, सीनियर मैनेजमेंट को कर्मचारियों ने जानकारी दी थी कि बैंक के प्रबंध निदेशक दीपक किडो मैनेजमेंट के साथ मिलकर वित्‍त वर्ष 2015-16 से ही बैंक के फाइनेंशियल बुक के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं. भेजे गए पत्र में दावा किया गया है कि टॉप मैनेजमेंट के कुछ अधिकारी फर्जी लोन अकाउंट्स बनाते थे . यह सबकुछ बैंक के एमडी व सीईओ दीपक किडो और क्रेडिट हेड की देखरेख में होता था. मौजूदा समय में बैंक का एसेट अंडर मैनेजमेंट पोर्टफोलियो 140 करोड़ रुपये का है. जबकि पिछले साल 30 सितंबर तक कंपनी की ओर से दी गई जानकारी में यह बताया गया था कि एयूएम 391 करोड़ रुपये का है. इस प्रकार इसमें करीब 251 करोड़ रुपये का अंतर है. बैंक बोर्ड निदेशकों को जारी इस लेटर पर संबंध फिनसर्व के चीफ फाइनेंस अधिकारी जेम्‍स और इंटर्नल ऑडिट हेड सहित तीन लोगों के हस्‍ताक्षर हैं.