नई दिल्ली: रिजर्व बैंक वसूल नहीं हो रहे कर्ज (NPA) के मामलों के समाधान के नियमों में संशोधन करने की तैयारी में है और वह इसके तहत कर्जदारों को कर्ज भुगतान के लिये 60 दिन का अतिरिक्त समय दे सकता है ताकि ईमानदार कर्जदारों की तकलीफ कुछ कम हो सके. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा रिजर्व बैंक के 12 फरवरी 2018 के सर्कुलर को निरस्त किये जाने के कारण संशोधित नियमों पर काम चल रहा है और जल्दी ही ये जारी कर दिये जाएंगे.


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सूत्रों ने कहा कि एनपीए की नयी रूपरेखा के तहत विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. इनमें एनपीए के लिये समाशोधन करने की मौजूदा 90 दिन की समयसीमा के साथ 30 से 60 दिन का अतिरिक्त समय देने का विकल्प भी शामिल है. उन्होंने कहा कि 90 दिन की अवधि के बाद फंसे ऋण को एनपीए करार दिये जाने की व्यवस्था बनी रहेगी लेकिन रिजर्व बैंक निकायों को ऋण का भुगतान करने के अन्य विकल्प देने पर गौर कर रहा है. उन्होंने कहा कि भुगतान के लिये अधिक समय दिये जाने से MSME की समस्या कुछ हद तक कम होगी.


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बता दें, रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी 2018 को एक सर्कुलर जारी किया था. इसके मुताबिक कर्ज लौटाने में एक दिन की भी देरी होने पर कंपनी को दिवाला घोषित करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. हालांकि, यह नियम 2000 करोड़ से ज्यादा के कर्ज पर  लागू होता है. सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के इस सर्कुलर को रद्द कर दिया था.


(इनपुट-भाषा से भी)