SEBI New Rule: शेयर बाजार को रेग्‍युलेट करने वाली सेबी की तरफ से बाजार में पारदर्श‍िता बरतने के ल‍िए समय-समय पर न‍ियमों में बदलाव क‍िया जाता है. अब सेबी ने ल‍िस्‍टेड कंपन‍ियों के ल‍िए ब्‍याज और ड‍िव‍िडेंड जैसे पेमेंट को केवल इलेक्ट्रॉनिक मोड से देने का प्रस्ताव द‍िया है. इसका मकसद पेमेंट प्रोसेस को स्‍ट्रीमलाइन करना और सभी इनवेस्‍टर के ल‍िए सुरक्षा, सुविधा और एफ‍िश‍िएंसी बढ़ाना है. सेबी के मौजूदा एलओडीआर (सूचीबद्धता दायित्व और खुलासा जरूरत) नियम इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट की इजाजत देते हैं.


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बैंक से जुड़ी ड‍िटेल गलत होने से द‍िक्‍कत


न‍ियम के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर फेल होने पर चेक या वारंट की इजाजत भी देते हैं. यह विशेष न‍ियम 1,500 रुपये से ज्‍यादा की राशि के लिए है. सेबी की तरफ से कहा गया क‍ि पेमेंट में फेल्‍योर तब होती है जब स‍िक्‍योर‍िटी होल्‍डर की बैंक से जुड़ी जानकारी गलत हो या उपलब्ध ही नहीं होता है, जिसके लिए कंपनियों को चेक भेजने की जरूरत होती है. हाल के आंकड़ों के अनुसार, टॉप 200 ल‍िस्‍टेड कंपनियों के लिए 1.29 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक ड‍िव‍िडेंड पेमेंट फेल हो जाते हैं.


11 अक्टूबर जवाब देने का समय
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में डीमैट और भौतिक रूप से शेयर रखने वाले दोनों स‍िक्‍योर‍िटी होल्‍डर्स के लिए ड‍िव‍िडेंड और ब्याज सहित सभी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप में करने का प्रस्ताव दिया है. निवेशकों को सुचारू भुगतान सुनिश्‍च‍ित करने के लिए डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के साथ अपने सही बैंक विवरण अपडेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. सेबी ने प्रस्ताव पर 11 अक्टूबर तक लोगों से जवाब मांगे हैं.