SEBI New Rules: सेबी ने IPO के नियमों में कर दिया बड़ा बदलाव, अब ये लोग नहीं कर सकेंगे निवेश
SEBI New Rules: अगर आप भी शेयर बाजार में या आईपीओ में निवेश करते हैं तो ये खबर जरूर पढ़ लें. दरअसल, सेबी ने अब आईपीओ में निवेश के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है. इसके बाद अब कुछ खास लोग ही आईपीओ में निवेश नहीं कर सकते हैं. आइये जानते हैं डिटेल्स.
SEBI New Rules: शेयर बाजार के निवेशकों के लिए जरूरी खबर है. अगर आप भी आईपीओ में पैसे लगाने वाले हैं तो जान लीजिये कि बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आईपीओ में बोली लगाने के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है. नए नियम के तहत अब कुछ खास लोग ही आईपीओ में निवेश कर पाएंगे. सेबी ने इसकी जानकारी दी है.
नए नियम के अनुसार, अब वही निवेशक पब्लिक इश्यू यानी आईपीओ के लिए बोली लगा सकेंगे, जो वास्तव में कंपनी के शेयर खरीदना चाहते हैं. दरअसल, सेबी को ये पता चला था कि कुछ संस्थागत और अमीर निवेशक (HNI) आईपीओ के सब्सक्रिप्शन बढ़ाने के लिए उसमें बोली लगा रहे हैं. उनका मुख्य उद्देश्य निवेश करना नहीं बल्कि सबस्क्रिप्शन बढ़ाना होता है. ऐसे में, सेबी को ये सख्त कदम उठाना पड़ा है.
सेबी ने सर्कुलर जारी कर दी जानकारी
सेबी के इस नए नियम से सब्सक्रिप्शन डेटा बढ़ाने के लिए बोली लगाने पर रोक लग जाएगी. आपको बता दें कि नए नियम 1 सितंबर, 2022 से लागू होंगे. सेबी ने सोमवार को इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है. सर्कुलर के अनुसार, आईपीओ के आवेदन को तभी आगे बढ़ाया जाएगा जब उसके लिए जरूरी फंड निवेशकों के बैंक खाते में मौजूद रहेगा. सेबी के मुताबिक, 'स्टॉक एक्सचेंज अपने इलेक्ट्रॉनिक बुक बिल्डिंग प्लेटफॉर्म पर एएसबीए (ASBA) आवेदन को तभी स्वीकार करेंगे, जब उसके साथ मनी ब्लॉक होने का कन्फर्मेशन होगा.'
सभी निवेशकों के लिए नियम
सेबी की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, नए नियम में किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी, ये नया नियम सभी तरह के निवेशकों पर लागू होगा. 1 सितंबर, 2022 से बाजार में आने वाले सभी आईपीओ को इस नियम का पालन करना अनिवार्य होगा. दरअसल, अभी तक सभी श्रेणी के निवेशकों के फंड को एएसबीए आधार पर ब्लॉक किया जाता है. सेबी ने आईपीओ में बोली लगाने के लिए खुदरा, पात्र-संस्थागत खरीदार (QIB), गैर-संस्थागत निवेशक (NII) जैसी श्रेणी बनाई है.
दरअसल, सेबी ऐसी जानकारी मिली थी कि हाल के कुछ आईपीओ में आवेदन बीएस इसलिए रद्द करने पड़े, क्योंकि निवेशकों के खाते में पर्याप्त पैसे नहीं थे.