मुंजाल ने नोटबंदी को बताया `काबिलेतारीफ`, जीएसटी को कहा बुनियादी सुधार
मुंजाल के अनुसार कालाधन के सृजन में उल्लेखनीय कमी आयी है. हालांकि एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की दोहरे अंक में वृद्धि के लिए कुछ चुनौतियां हैं.
हैदराबाद: दोपहिया वाहन कंपनी हीरो एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील कांत मुंजाल ने नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को बुनियादी सुधार बताते हुए कहा कि इनसे लघु अवधि में परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन इस तरह के कदमों का परिणाम दीर्घ काल में दिखता है. मुंजाल ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘बुनियादी सुधारों का परिणाम देखने में छह माह से दो वर्ष तक का वक्त लगता है. इससे लघु अवधि में कुछ परेशानियां आ सकती हैं. जैसा कि मैंने कहा अगले साल भी यदि सरकार सुधार की गति को जारी रखती है और चुनावों के लिए प्रचार को संतुलित रखती है तो मुझे नहीं लगता कि हमारी वृद्धि के लिए कोई जोखिम है.’’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक ‘काबिलेतारीफ विचार’ है. हालांकि इसका अनुपालन किसी और तरीके से हो सकता था. सबसे ज्यादा परेशान व्यक्ति और ज्यादा परेशान हुआ, लेकिन इसके लाभ दिखने शुरु हो गए हैं. मुंजाल के अनुसार कालाधन के सृजन में उल्लेखनीय कमी आयी है. हालांकि एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की दोहरे अंक में वृद्धि के लिए कुछ चुनौतियां हैं.
ममता ने 'नोटबंदी' को बताया सबसे बड़ी आपदा, 'जीएसटी' को कहा एक बड़ा करतब
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गरुवार (5 अक्टूबर) को नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मुद्दे को कुरदते हुए कहा कि नोटबंदी ‘‘सबसे बड़ी आपदा’’ रही तो नयी कर व्यवस्था ‘‘एक बड़े करतब’’ की तरह है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल में लिखा, ‘‘जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि नोटबंदी सबसे बड़ी आपदा है. इसने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. इसके अलावा जीएसटी भी एक बड़ी भारी करतब की तरह है.’’ इससे पूर्व बनर्जी ने जीएसटी लागू किये जाने को केन्द्र सरकार की नोटबंदी के बाद की एक और ‘ऐतिहासिक भूल’ करार दिया था.
रंगराजन ने नोटबंदी-जीएसटी को बताया आर्थिक वृद्धि में गिरावट के लिए जिम्मेदार
आर्थिक वृद्धि में गिरावट के लिए नोटबंदी व जीएसटी को जिम्मेदार ठहराते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने शुक्रवार (22 सितंबर) को कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के प्रस्तावित पैकेज में आंशिक तौर पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर ध्यान होना चाहिए और निजी निवेश बढ़ाने के रास्ते की बाधाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए. एसोचैम द्वारा आयोजित 10वें अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण शिखर सम्मेलन से इतर रंगराजन ने संवाददाताओं से कहा, "मेरी राय में पैकेज का इस्तेमाल सरकार के पूंजीगत व्यय को आंशिक तौर पर बढ़ाने के लिए होना चाहिए, लेकिन जिस भी तरह से यह निजी निवेश को बढ़ावा दे, वही उपयुक्त तरीका होगा."
उन्होंने कहा कि विकास दर में गिरावट के साथ निवेश दर में गिरावट आई है. रंगराजन ने कहा, "ज्यादा गंभीर बात यह है कि निजी निवेश गिरा है. वास्तविकता यह है कि पूंजी पर सार्वजनिक व्यय में कुछ मामूली वृद्धि हुई है. इसलिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा उन समस्याओं के समाधान का है, जो निजी निवेश को बढ़ने से रोक रही हैं." उन्होंने सुझाव दिया कि दो चीजें की जा सकती हैं. कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं, और यह सुनिश्चित किया जाए कि रुकी परियोजनाएं सक्रिय हों. दूसरा, बैंकिंग प्रणाली के पुनर्पूजीकरण की जरूरत है, ताकि निवेश के लिए अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जा सके. उन्होंने कहा, "अभी बैंकों को कर्ज देने में सक्षम होने की जरूरत है."