Tata Steel UK Strike News in Hindi: दुनिया के विकसित देशों में शुमार ब्रिटेन 40 साल में पहली बार स्टील कर्मचारियों की हड़ताल का सामना करने जा रहा है. टाटा स्टील के लगभग 1,500 कर्मचारी 8 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करेंगे. असल में कंपनी ने वेल्स के पोर्ट टैलबोट और लैनवर्न के प्लांट में काम करने वाले 2,800 कर्मचारियों को छंटनी के नाम पर बेरोजगार कर दिया है. साथ ही ब्लास्ट फर्नेस को भी बंद कर दिया है. इसके बाद गुस्साए कर्मचारियों ने एकजुट होकर 8 जुलाई से हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. 


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40 साल में पहली बार हड़ताल


टाटा स्टील की यूनाइट द यूनियन ने कहा कि 40 वर्षों में यह पहली बार है, जब ब्रिटेन के टाटा स्टील यूके में काम करने वाले कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. इसका उद्देश्य प्लांट के संचालन को गंभीर रूप से प्रभावित करना है. ये हड़ताल वेल्स में टाटा के पोर्ट टैलबोट और लैनवर्न साइटों पर होगी.


यूनाइट की महासचिव शेरोन ग्राहम ने कहा, 'टाटा के कर्मचारी केवल अपनी नौकरियों के लिए नहीं लड़ रहे हैं. वे अपने समुदायों के भविष्य और वेल्स में इस्पात उद्योग के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं. जब तक टाटा अपनी विनाशकारी योजनाओं को रोक नहीं देती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.' 


18 महीने में 2500 की छंटनी का प्लान


टाटा स्टील ब्रिटेन में 8,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है. कंपनी ने जनवरी में कहा था कि अगले 18 महीनों में कुल 2,500 नौकरियों में कटौती होने की संभावना है. यूनियन का दावा है कि विपक्षी लेबर पार्टी ने मुंबई मुख्यालय वाली इस्पात कंपनी से अपनी योजनाओं को रोकने और चार जुलाई के आम चुनाव के बाद नई चुनी गई सरकार के साथ बातचीत करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि लेबर पार्टी ने चुनाव जीतने पर टाटा के साथ आपातकालीन वार्ता को भी प्राथमिकता दी है.


कंपनी ने फैसले पर जताई निराशा
 
टाटा स्टील के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी यूनाइट के फैसले से निराश है. उन्होंने कहा कि स्टील कंपनी में रोजाना 1 मिलियन पाउंड का नुकसान हो रहा था. इसलिए मजबूरी में छंटनी का कठोर फैसला करना पड़ा. प्रवक्ता ने कहा, "अगर इस हड़ताल से प्लांट में ऑपरेशन की सुरक्षा और स्थिरता खतरे में पड़ती है, तो हम उन समापन योजनाओं में तेजी लाने के लिए मजबूर होंगे." 


घाटे को देखते हुए लिया फैसला


बताते चलें कि कंपनी में लगातार हो रहे घाटे को देखते हुए टाटा स्टील कंपनी ने कम कार्बन वाले इलेक्ट्रिक आर्क भट्टियों की ओर स्विच करने की घोषणा की थी. इसके लिए सरकार ने भी 500 मिलियन पाउंड की मदद देने का ऐलान किया था.