नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बुधवार को भारत की बढ़ते ईंधन के दाम और कच्चे तेल की संभावित कमी को लेकर चिंता को खारिज कर दिया है. अमेरिका ने भारत को ईरान से तेल आयात बंद करने के लिए छह महीने की छूट दी है. यूएई ने कहा कि यह समयसीमा समाप्त होने के बाद भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं है. 


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यूएई ने कहा कि वह और सऊदी अरब यह सीमा समाप्त होने के बाद भारत के साथ मजबूती के साथ खड़े होंगे और पुरानी कमी की भरपाई करेंगे. भारत में खाड़ी देश के दूत अहमद अलबाना ने यह बात कही. यह पूछे जाने पर कि क्या छह माह की राहत की अवधि समाप्त होने बाद मांग-आपूर्ति असंतुलन की स्थिति बनेगी, दूत ने कहा कि ईधन कीमतें वैश्विक स्तर पर विभिन्न बाजारों की मांग से तय होती हैं.


अलबाना ने कहा कि यदि यह राहत नहीं भी मिलती तो भी भारत को कोई दिक्कत नहीं होती क्योंकि यूएई और सऊदी अरब भारत के साथ हमेशा मजबूती के साथ खड़े रहे हैं. भारत, ईराक, सऊदी अरब और ईरान से सबसे ज्यादा तेल आयात करता है. यूएई, भी भारत को तेल आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों में शुमार है. 


इसी सप्ताह मीडिया से बातचीत में विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्जेंटीना में जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक शिखर सम्मेलन में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का मुद्दा उठाएंगे.


भारत, यूएई तथा सऊदी अरब की रिफाइनरी महाराष्ट्र में
इस वर्ष जून माह में, भारत, यूएई तथा सऊदी अरब ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में संयुक्त रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स बनाने का निर्णय लिया था. हालांकि यह प्रोजेक्ट विवादों में आ गया है. स्थानीय लोग का कहना है कि इस रिफाइनरी के चलते भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाएगी. शिवसेना भी इसके विरोध में शामिल है. रत्नागिरी का यह क्षेत्र अल्फांसो आम के लिए जाना जाता है. उम्मीद जताई जा रही है कि महाराष्ट्र सरकार आने वाले सप्ताह में जमीन का आवंटन करेगी.