Unemployment rate in india: देश में चुनाव से पहले बेरोजगारी का मुद्दा एक बार फिर उठ गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस पर सरकार को तंज कसा है. इंटरनेशनल लेवल ऑर्गेनाइजेशन और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसके बाद में बेरोजगारी का मुद्दा गरमा गया है. इंडिया एंप्लाईमेंट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत के युवा बढ़ती बेरोजगारी से जूझ रहे हैं. भारत में कुल बेरोजगारों में से 83 फीसदी संख्या युवाओं की है. 


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आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये पूरी रिपोर्ट, जिस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार को तंज कस रहे हैं...


ILO और IHD ने मिलकर जारी की रिपोर्ट


ILO ने इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) के साथ मिलकर ‘इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत में 100 लोग बेरोजगार हैं तो उसमें से युवाओं की संख्या 83 है. वहीं, इसमें अधिकतर युवा शिक्षित हैं. 


दोगुने हुई पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या


ILO की इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या साल 2000 की तुलना में अब दोगुनी हो चुकी है. साल 2000 में अगर पढ़े-लिखे बेरोजगारों की बात की जाए तो यह संख्या करीब 35.2 फीसदी थी. वहीं, साल 2022 में यह संख्या बढ़कर 65.7 फीसदी हो गई है. पढ़े-लिखे युवाओं में उन लोगों का नाम शामिल किया गया है, जिन्होंने कम से कम 10वीं तक पढ़ाई की हो. 



राहुल गांधी ने किया ट्वीट


राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि कल ही मैंने पूछा था कि ‘क्या नरेंद्र मोदी के पास रोज़गार के लिए कोई योजना थी भी?’ 
आज ही सरकार का जवाब आया - नहीं


इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 न सिर्फ रोज़गार पर मोदी सरकार की भीषण नाकामी का दस्तावेज है बल्कि कांग्रेस की रोज़गार नीति पर मुहर भी है.


रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल बेरोज़गारों में 83% युवा हैं, या तो उनके पास नौकरी है ही नहीं या वह बहुत ही कम मेहनताने पर बुरी दशा में काम करने को मजबूर हैं.


रिपोर्ट कहती है 65% पढ़े लिखे युवा बेरोज़गार हैं - हमारी गारंटी है हम 30 लाख सरकारी पदों को भरेंगे.


रिपोर्ट कहती है स्किल गैप है - हम ‘पहली नौकरी पक्की’ से फ्रेशर्स को स्किल्ड वर्क फोर्स बनाएंगे.


रिपोर्ट कहती है नए रोज़गारों का सृजन करना होगा - हमारी 'युवा रोशनी' की गारंटी स्टार्ट-अप्स के लिए ₹5000 करोड़ की मदद लेकर आ रही है.


रिपोर्ट कहती है श्रमिकों के पास सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित रोज़गार नहीं है - हम श्रमिक न्याय के तहत उनका जीवन बदलने जा रहे हैं.


कांग्रेस की नीतियां ही ‘रोज़गार की गारंटी’ हैं यह सरकार की रिपोर्ट से भी साबित हो गया है.


भाजपा का मतलब - बेरोज़गारी और बेबसी, कांग्रेस का मतलब - रोज़गार क्रांति.


फर्क साफ है!


कोरोना में गई लोगों की नौकरियां


इस स्टडी के मुताबिक, 2000 और 2019 के बीच युवा रोजगार (youth employment) और अंडरएंम्पाईमेंट (underemployment) में इजाफा हुआ है, लेकिन COVID-19 महामारी के साल इसमें गिरावट देखी गई. हालांकि, इस कोरोना महामारी के दौरान हायर लेवल पर पढ़े-लिखे युवाओं की नौकरी चली गई. कोरोना काल के दौरान लोगों को काफी जॉबलैस की समस्या का सामना करना पड़ा था. 


2022 में इन लोगों को नहीं मिली मजदूरी


इसके अलावा अगर वेजेस यानी वेतन की बात की जाए तो इसमें भी गिरावट आ रही है. साल 2019 के बाद से रेग्युलर वर्कर्स और सेल्फ-एम्प्लॉयड लोग दोनों ही लोगों की इनकम में गिरावट आई है. इसके अलावा साल 2022 में मिनिमम वेजेस लेने वाले अनस्किल्ड कैजुअल वर्क्स को भी मजदूरी नहीं मिली. 


इन राज्यों में बेरोजगारी के खराब परिणाम


बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पिछले कुछ सालों में खराब रोजगार परिणामों से जूझ रहे हैं. इन राज्यों की रीजनल पॉलिसी की वजह से लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है. 


डिजिटल साक्षरता की है कमी


इस रिपोर्ट के मुताबिक, युवाओं के बीच में स्किल्स की कमी भी देखने को मिल रही है. यह एक चिंता का विषय है. युवाओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी डिजिटल रूप से साक्षर नहीं है उन लोगों के पास में बेसिक जानकारी भी नहीं है. इस वजह से इन लोगों पर बेरोजगारी की मार काफी ज्यादा है.