UCPMP 2024: सरकार ने फार्मा कंपनियां और डॉक्टर के बीच गठजोड़ को रोकने के लिए नया कदम उठाया है फार्मा कंपनियों की किसी भी तरह की गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने के लिए हर फार्मा कंपनी को अपनी वेबसाइट पर इस कोड का पालन करना होगा. ब्रांड प्रमोशन के नाम पर गलत तरह से विज्ञापन करने के चलन को भी इस कोड के जरिए रोका जा सकेगा.


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इस तरह फार्मा कंपनी यहां खुद पर लगाए लगाम - सरकार ने दिए आदेश


फार्मा कंपनियों की एसोसिएशन  को एक एथिक्स कमेटी बनानी होगी जिसमें कम से कम 3 से 5 सदस्य होने जरूरी हैं और इसका हेड कंपनी के सीईओ को होना अनिवार्य है. फार्मा कंपनी की एसोसिएशन अपनी वेबसाइट पर शिकायत करने का सही प्रोसीजर भी जारी करेगी संगठन की वेबसाइट पर मौजूद शिकायत की प्रक्रिया और कोड सरकार की केमिकल और फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री के डिपार्मेंट आफ फार्मा की वेबसाइट से लिंक होगा.


फार्मा कंपनी की संगठन को अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी कि किस कंपनी के खिलाफ शिकायत आई है वह शिकायत किस तरह की है उसे शिकायत पर क्या संज्ञान लिया गया है और इस जानकारी को कम से कम 5 वर्ष तक वेबसाइट पर बनाए रखना होगा.


अगर कोई फार्मा कंपनी किसी भी संगठन से जुड़ी हुई नहीं है तो ऐसे में फार्मा इंडस्ट्री एसोसिएशन के पास जाकर ऐसी कंपनी के खिलाफ शिकायत दी जा सकती है. सरकार का डिपार्मेंट आफ फार्मास्यूटिकल भी ऐसी फार्मा कंपनी की शिकायत को सुन सकता है.


शिकायत कर्ता को अपनी पहचान बतानी जरूरी होगी। अनजान व्यक्ति किसी फार्मा कंपनी के खिलाफ शिकायत नहीं कर सकता किसी भी तरह के दिशा निर्देश या नियम कानून के उल्लंघन के 6 महीने के अंदर शिकायत करना जरूरी होगा शिकायत करने वाले को₹1000 जमा कराने जरूरी होंगे.


शिकायत की सुनवाई कर रही एथिक्स कमेटी को शिकायत मिलने के 90 दिन के अंदर अपना फैसला सुनाना होगा अगर फार्मा कंपनी के खिलाफ मामला साबित हो जाता है तो एथिक्स कमिटी उसे कंपनी के खिलाफ सीमित दायरे में कार्रवाई करने के लिए भी स्वतंत्र है.


अगर दोनों में से कोई भी पक्ष एथिक्स कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह अपेक्स कमेटी के पास जा सकता है जिसकी अध्यक्षता सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग के सेक्रेटरी करेंगे.


दवा कंपनियों की इन इन गतिविधियों के खिलाफ की जा सकती है शिकायत


फार्मा कंपनियां अगर किसी दवा का या प्रोडक्ट का विज्ञापन करना चाहती हैं या प्रमोशन करना चाहती हैं तो वह नियम कानून के दायरे में रहकर ही किया जा सकता है. बिना प्रतियोगी कंपनी की मंजूरी लिए अपने प्रोडक्ट की दूसरी कंपनी के प्रोडक्ट के साथ तुलना नहीं की जा सकती.


>> फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को नहीं दे सकती मुफ्त के गिफ्ट्स .


>> विदेश में सेमिनार के नाम पर यात्राएं भी नहीं करवा सकती.


>> फार्मा कंपनियां स्वयं या फिर किसी एजेंट के जरिए किसी भी डॉक्टर उसके परिवार वाले दोस्त या फिर रिश्तेदारों को किसी भी तरह के गिफ्ट्स या पैसे नहीं दे सकती ‌


>> फार्मा कंपनी डॉक्टर के साथ मिलकर एजुकेशनल सेमिनार और कॉन्फ्रेंस कर सकती है लेकिन ऐसे आयोजन देश से बाहर करने पर पूरी तरह से पाबंदी है.


>> देश में भी ऐसे सेमिनार करने पर फार्मा कंपनियां ऐसे किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट को मुफ्त का ट्रेवल नहीं करवा सकती जो उसे सेमिनार में स्पीकर के तौर पर नहीं जा रहा.


>> सेमिनार वर्कशॉप या कॉन्फ्रेंस के टआयोजन में कितना खर्च हुआ और वह खर्च कहां से किया गया इसकी पूरी जानकारी फार्मा कंपनियों को सार्वजनिक तौर पर अपनी वेबसाइट पर जारी करनी होगी.


फार्मा कंपनियां डॉक्टर को दे सकती हैं  डायरी, कैलेंडर,  पेन और मुफ्त दवा का सैंपल - लेकिन सीमित मात्रा में 


अपने ब्रैंड को प्रमोट करने के लिए दवा के ब्रांड वाले सामान जैसे डायरी कैलेंडर पेन या कोई डिवाइस मॉडल दिए जा सकते हैं लेकिन उनकी कीमत ₹1000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. दवा के सैंपल के तीन मरीजों की डोज जितने सैंपल दिए जा सकते हैं। साल भर में 12 पैकेट से ज्यादा दवा के सैंपल भी नहीं दिए जा सकते. मोटे तौर पर फार्मा कंपनियों को सबसे पहले खुद पर लगाम लगानी होगी और किसी भी तरह के उल्लंघन की जिम्मेदारी सीधे तौर पर सीओ की होगी.